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भारत का पहला 'लव गुरु' कौन था जिसने सदियों पहले प्रेम पर ग्रंथ लिखा लेकिन खुद कभी शादी नहीं की

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महर्षि वात्स्यायन को भारत का पहला 'लव गुरु' माना जाता है, जिन्होंने प्रेम, काम और रिश्तों पर सबसे प्राचीन और चर्चित ग्रंथ कामसूत्र की रचना की थी। वह जीवन भर अविवाहित रहे लेकिन प्रेम को वैज्ञानिक नज़रियों से परिभाषित किया।

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महर्षि वात्स्यायन ने उस समय में प्रेम और शारीरिक संबंधों पर खुलकर बात की, जब इन विषयों पर चुप्पी साधी जाती थी। उन्होंने कामसूत्र के जरिए रोमांस और रिश्तों की समझ को नई दिशा दी।

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बहुचर्चित ग्रंथ कामसूत्र को सिर्फ सेक्स गाइड नहीं, बल्कि एक आर्ट ऑफ लिविंग के रूप में देखा जाना चाहिए। इसमें बताया गया है कि कैसे प्रेम को समझा जाए, रिश्तों को संवारा जाए और जीवन को गहराई से जिया जाए।

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वात्स्यायन ऋषि को वेदों और शास्त्रों की गहरी समझ थी। उन्होंने बनारस में कई साल गुज़ारे और वहीं कामसूत्र जैसी कालजयी रचना की, जो आज भी प्राचीन भारतीय संभोग एजुकेशन का सबसे मजबूत उदाहरण है।

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महर्षि वात्स्यायन ने सबसे पहले अट्रैक्शन और यौन व्यवहार को वैज्ञानिक दृष्टि से देखा। उन्होंने कहा कि जैसे भोजन, शिक्षा और धर्म जरूरी हैं, वैसे ही संभोग भी जीवन का अहम पहलू है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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ऐसा माना जाता है कि वात्स्यायन ने कामसूत्र को लिखने से पहले नगरवधुओं से संवाद किया, जिससे उन्हें प्रेम और रिश्तों की व्यवहारिक समझ मिली। इससे ग्रंथ की वफ़ादारी और गहराई और बढ़ गई।

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इतिहासकारों के अनुसार, कामसूत्र आज भी दुनियाभर में प्रेम और रिश्तों की समझ के लिए पढ़ा जाता है। यह किताब बताती है कि कैसे प्रेम सिर्फ भावना नहीं बल्कि गहरी समझ, संतुलन और ज्ञान का विषय है।

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बहुत कम लोग जानते हैं कि महर्षि वात्स्यायन ने न्याय सूत्र नाम की एक philosopher किताब भी लिखी थी। इसमें स्पिरिच्वल जीवन, जन्म और मोक्ष जैसे गूढ़ विषयों पर भी विस्तार से विचार किया गया है।

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