महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे ने ऐलान किया है कि वे बुधवार को गणेशोत्सव के पहले दिन जलना जिले से मुंबई की ओर मार्च करेंगे और राजधानी में अनशन पर बैठेंगे। जरांगे की मुख्य मांग है कि सभी मराठाओं को कुनबी का दर्जा दिया जाए, ताकि उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ मिल सके। राज्य सरकार के लगातार प्रयासों और बातचीत की कोशिशों के बावजूद जरांगे ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे और इस बार आंदोलन को निर्णायक रूप देंगे।
बावनकुले की सख्त चेतावनी
इस बीच, महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जरांगे को चेतावनी देते हुए कहा कि आंदोलन करना सबका अधिकार है, लेकिन यह मर्यादा और शालीनता के दायरे में होना चाहिए। बावनकुले ने कहा कि व्यक्तिगत हमले और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि नेताओं, खासकर महिलाओं और परिवारों पर की गई अपमानजनक टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार किसी की आवाज दबाना नहीं चाहती और हर किसी को आंदोलन का अधिकार है, लेकिन धमकी और गाली-गलौज महाराष्ट्र की संस्कृति का हिस्सा नहीं हो सकते।
राजस्व मंत्री ने इस दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयासों की सराहना भी की। उन्होंने बताया कि फडणवीस ने मराठा समाज को आरक्षण दिलाने के लिए दिन-रात काम किया, कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली, सामाजिक-आर्थिक सर्वे कराया और कानून भी बनाया। यह कानून विधानसभा से पारित हुआ और हाईकोर्ट ने भी इसे मंजूरी दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। बावनकुले ने कहा कि फडणवीस ने मराठा समाज के लिए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी थी और आज भी सरकार मराठा समाज के न्याय के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बावनकुले ने जोर देकर कहा कि महायुति सरकार मजबूत है और मराठा समाज को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार मराठा समाज के साथ है और आगे भी हमेशा साथ रहेगी। दूसरी ओर, जरांगे ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेंगे और मुंबई में भूख हड़ताल पर बैठकर अपनी मांगों को मजबूती से उठाएंगे। अब देखना होगा कि सरकार और आंदोलनकारियों के बीच यह टकराव किस दिशा में जाता है।





