इंटेल ने नए सीईओ लिप बू तान की लीडरशिप में नया फैसला लिया है। कंपनी इस साल अपनी वर्कफोर्स में से 25% से ज्यादा की छंटनी करने जा रही है। कंपनी लगभग 24,000 कर्मचारियों को बाहर करने जा रही है। इसके अलावा कॉस्ट कटिंग के साथ कंपनी ने रिस्ट्रक्चरिंग की भी घोषणा की है। बता दें कि इंटेल दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनियों में गिनी जाती है। ऐसे में यह छंटनी बड़े पैमाने पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
कंपनी ने न सिर्फ छंटनी का निर्णय किया है, बल्कि इसके साथ ही जर्मनी और पोलैंड में अपने जरूरी एक्सपेंशन प्रोजेक्ट्स को भी रद्द कर दिया है। इस समय कंपनी की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है। नए सीईओ ने अब कंपनी की आर्थिक स्थिति सुधारने का निर्णय लिया है। ऐसे में कंपनी का स्ट्रक्चर सुधर रहा है।
कितने कर्मचारियों को करेगी बाहर?
अगर साल 2024 पर नजर डाली जाए तो कंपनी में वर्कफोर्स की कुल संख्या 99,500 थी। लेकिन इस साल होने वाली छंटनी के साथ ही अब यह संख्या 2025 के अंत तक लगभग 75,000 तक ही रह जाएगी। यानी कंपनी 24,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर कर देगी। इसे लेकर सीईओ द्वारा कर्मचारियों को लेटर भी लिखा गया है। इस लेटर में कंपनी ने अपने फैसले को मुश्किल और जरूरी बताया है। कंपनी ने इससे पहले दूसरी तिमाही तक ही मैनेजमेंट लेवल्स को भी आधा कर दिया था। कंपनी द्वारा हर स्तर पर अपने स्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है, इसलिए कंपनी ने इस पर 16,450 करोड़ रुपए भी खर्च किए हैं।
क्यों पिछड़ रही कंपनी?
जानकारी दे दें कि कंपनी ने हाल ही में 25,107 करोड़ रुपए का तिमाही नुकसान दर्ज किया था। यह नुकसान 1.12 करोड़ रुपए के रेवेन्यू पर दर्ज किया गया था। पिछले 35 सालों पर नजर डाली जाए तो यह अब तक का सबसे बड़ा घाटा है। दरअसल, इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दौर चल रहा है। ऐसे में इस सेक्टर में एनवीडिया और एएमडी जैसे बड़े कंपीटीटर्स मौजूद हैं और उनके आगे इंटेल कहीं ना कहीं पीछे छूट रही है। यही कारण है कि इंटेल को नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि अब इंटेल ने पहले अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का निर्णय लिया है, लेकिन इससे कर्मचारी प्रभावित होंगे।





