छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विदेश दौरे से लौटने के बाद बस्तर संभाग में बाढ़ राहत कार्यों को गति दी। सोमवार, 2 सितंबर को दंतेवाड़ा जिले के डंकनी सभाकक्ष में आयोजित बैठक में उन्होंने बस्तर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा जिलों में 26-27 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से हुए नुकसान और राहत कार्यों की समीक्षा की। बैठक में कलेक्टरों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री ने प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और प्रभावित ग्रामीणों की संतुष्टि पर संतोष जताया।
सीएम ने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा से जन-धन और अधोसंरचना को अपूरणीय क्षति हुई है। चारों जिलों में बाढ़ से सड़कों, पुलों और बिजली आपूर्ति को 115 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा मरम्मत के लिए हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा एक दिन का वेतन दान देने की पहल को अनुकरणीय बताया। साथ ही, गैर-शासकीय संगठनों के योगदान की भी प्रशंसा की।
सतत निगरानी और सर्वे के लिए तैनात
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्थिति सामान्य होने तक राहत और स्वास्थ्य शिविर जारी रखे जाएं। प्रभावित क्षेत्रों में डोर-टू-डोर स्वास्थ्य जांच, मलेरिया और जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए क्लोरीनेशन और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने राहत राशि तत्काल वितरित करने और राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात सुचारू रखने के लिए त्वरित प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग को भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सतत निगरानी और सर्वे के लिए तैनात रहने को कहा गया।
प्रशासन की समयबद्ध कार्रवाई
बैठक में कलेक्टरों ने बाढ़ से हुए नुकसान, जैसे क्षतिग्रस्त सड़कें, पुल, बिजली आपूर्ति और मोबाइल नेटवर्क की स्थिति की जानकारी दी। राहत शिविरों में प्रभावितों को भोजन, आश्रय और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के कार्यों का ब्योरा भी साझा किया गया। नदी-नालों के किनारे बसे गांवों को सबसे अधिक नुकसान हुआ, लेकिन प्रशासन की समयबद्ध कार्रवाई से प्रभावितों को तत्काल राहत मिली। बैठक में मंत्री टंकराम वर्मा, केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।





