Mon, Dec 29, 2025

MP नगरीय निकाय चुनाव : सरकार का यू-टर्न, वापस लिया अध्यादेश, इस पद्धति से होंगे चुनाव

Written by:Kashish Trivedi
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MP नगरीय निकाय चुनाव : सरकार का यू-टर्न, वापस लिया अध्यादेश, इस पद्धति से होंगे चुनाव

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में अब नगरीय निकायों (MP Urban body Election) के महापौर और अध्यक्ष पार्षदों के द्वारा चुने जाएंगे। बीजेपी सरकार (BJP Government) ने यू-टर्न लेते हुए प्रत्यक्ष प्रणाली (direct system) से चुनाव कराने वाला अध्यादेश (ordinance) राजभवन से वापस बुला लिया है। मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष का चुनाव अब प्रत्यक्ष प्रणाली से ही होगा। चार दिन पहले मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय मंत्री भूपेंद्र सिंह (bhupendra singh) ने घोषणा की थी कि जनता के द्वारा ही प्रदेश में महापौर और अध्यक्ष चुने जाएंगे।

भूपेंद्र ने कहा था कि महापौर और अध्यक्ष शहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्हें जनता से ही निर्वाचित होना चाहिए। मंत्री जी ने आगे कहा था कि प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में खरीद-फरोख्त की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं और जनता निष्पक्षता के साथ अपना प्रतिनिधि चुन सकती है। इसके बाद राज्य सरकार ने इस संबंध मे संशोधन हेतु अध्यादेश राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेज दिया था। लेकिन बुधवार की शाम उसे वापस बुला लिया गया।

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यानि अब यह स्पष्ट हो गया है कि मध्य प्रदेश में नगर निगमों के महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष सीधे जनता के द्वारा नहीं बल्कि चुने गए पार्षदों के द्वारा चुने जाएंगे। मध्यप्रदेश में अब तक नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष के चुनाव की प्रत्यक्ष प्रणाली की व्यवस्था थी जिसे समाप्त करते हुए कमलनाथ सरकार ने इनका चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने की व्यवस्था की थी। इस घोषणा का उस समय विपक्ष में रही भाजपा ने पुरजोर विरोध किया था और कहा था कि हमारी सरकार आते ही हम इस व्यवस्था को समाप्त करेंगे और चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ही होंगे।

अब सरकार ने इस मामले में यू-टर्न लिया है और चुनाव कमलनाथ सरकार के द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार ही कराने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय पर कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट किया है उन्होंने लिखा है कि “तीन-चार दिन पूर्व भाजपा के नेता महापौर व अध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने की घोषणा कर कांग्रेस को खूब कोस रहे थे। अब पता चला है कि राजभवन से अध्यादेश को वापस बुला लिया गया है। अब कमलनाथ सरकार के निर्णय पर ही शिवराज सरकार की सहमति। मतलब सारे आरोप झूठे…”