देशभर के गरीबों को मुफ्त इलाज देने वाली आयुष्मान भारत योजना को लेकर हरियाणा में विवाद खड़ा हो गया है। राज्य के करीब 650 निजी अस्पतालों ने इस योजना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इन अस्पतालों ने योजना के तहत इलाज करना बंद कर दिया है और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इससे लाखों गरीब मरीजों पर इलाज का संकट मंडरा रहा है।
अस्पतालों का आरोप- भुगतान में देरी और मनमानी कटौती
हरियाणा में निजी अस्पतालों का कहना है कि उन्हें राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) की तरफ से इलाज के पैसे समय पर नहीं मिलते। इलाज करने के बाद महीनों तक भुगतान नहीं किया जाता और जब पैसा आता है तो उसमें भी बिलों की मनमानी कटौती कर दी जाती है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) हरियाणा ने बताया कि इस स्थिति में अस्पतालों के लिए योजना के तहत इलाज करना घाटे का सौदा बन गया है। उनका कहना है कि इतने कम भुगतान और नियमों की अनदेखी के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
7 अगस्त से बंद कर दिया इलाज
IMA हरियाणा की अध्यक्ष डॉ. रेणु भाटिया ने जानकारी दी कि राज्य के निजी अस्पतालों ने 7 अगस्त 2025 से आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद कर दिया है। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों से अस्पतालों को भुगतान में देरी, बार-बार निरीक्षण और कटौती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। अब इन समस्याओं से परेशान होकर अस्पतालों ने यह कदम उठाया है। इस निर्णय से उन मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है जो इलाज के लिए पूरी तरह इस योजना पर निर्भर हैं।
पानीपत में होगा विरोध, जलाएंगे समझौते की कॉपी
IMA हरियाणा और निजी अस्पतालों ने मिलकर अब सरकार के खिलाफ खुला विरोध शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार, वे पानीपत में योजना के समझौते की प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। अस्पतालों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी समस्याओं का समाधान नहीं करती, वे आयुष्मान योजना के मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। इससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
गरीबों की चिंता बढ़ी, 90% मरीज प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर
हरियाणा में लगभग 70-80 लाख लोग आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हुए हैं। इनमें से करीब 90% मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में होता है। अब जब इन अस्पतालों ने इलाज बंद कर दिया है, तो गरीबों के पास इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों का ही सहारा बचा है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में पहले से ही संसाधनों की कमी है, जिससे मरीजों की परेशानी और बढ़ सकती है। IMA का कहना है कि सरकार को तुरंत इस मामले में दखल देना चाहिए, वरना आम जनता को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।





