विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग नगरी ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में सोमवार का दिन श्रद्धालुओं के लिए डर और दहशत लेकर आया। दर्शन और नर्मदा स्नान की आस्था के बीच अचानक ऐसा मंजर सामने आया, जिसने कुछ पलों के लिए सभी को डरा दिया। ब्रह्मपुरी घाट पर नर्मदा नदी में श्रद्धालुओं से भरी एक नाव असंतुलित होकर डूबने लगी। नाव में बच्चे, महिलाएं और पुरुष सवार थे।
घटना के बाद घाट पर चीख-पुकार मच गई। देखते ही देखते कुछ ही पलों में हालात इतने बिगड़ गए कि बड़ा हादसा होते-होते टल गया। हालांकि राहत की बात यह रही कि एनडीआरएफ, स्थानीय नागरिकों और पुलिस की तत्परता से सभी आठ श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
ओंकारेश्वर ब्रह्मपुरी घाट पर कैसे हुआ हादसा
यह घटना ओंकारेश्वर थाना क्षेत्र के ब्रह्मपुरी घाट की है, जहां रोज़ाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु नाव से नर्मदा दर्शन और परिक्रमा के लिए जाते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, नाव घाट से थोड़ी ही दूर पहुंची थी, तभी अचानक नर्मदा नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ने लगा। बताया जा रहा है कि ओंकारेश्वर बांध से अचानक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का बहाव तेज हो गया। इसी दौरान नाव घाट की रेलिंग से टकरा गई। तेज़ बहाव और संतुलन बिगड़ने के कारण नाव पलट गई और देखते ही देखते पानी में समा गई। नाव में सवार श्रद्धालु घबरा गए और कुछ लोग पानी में गिर गए।
नाव में सवार थे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग
इस हादसे को और भी गंभीर बनाने वाली बात यह थी कि नाव में बच्चे, महिलाएं और पुरुष सवार थे। कुल आठ श्रद्धालु नाव में मौजूद थे। पानी का बहाव तेज होने के कारण सभी की जान को खतरा था। घाट पर मौजूद लोगों ने बताया कि जैसे ही नाव डूबी, कुछ श्रद्धालु मदद के लिए चिल्लाने लगे, कुछ अपने होश खो बैठे। कुछ लोग इतने ज़्यादा डर गए थे कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि आखिर हो क्या रहा है। बच्चे तेज़-तेज़ रोने लगे। घाट पर मौजूद अन्य लोगों में भी अफरातफरी मच गई। जो लोग बाद में नाव में सवार होने वाले थे, उनके मन में भी डर बैठ गया।
ओंकारेश्वर में पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे
यह पहली बार नहीं है जब ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी में नाव हादसे सामने आए हैं। इससे पहले भी जलस्तर बढ़ने, तेज़ बहाव, नाव में आग लगने और लापरवाही के चलते कई बार नाव असंतुलित हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि त्योहारों, सावन के महीने और छुट्टियों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम उसी अनुपात में नहीं बढ़ाए जाते। इसी वजह से छोटी-सी चूक भी बड़े हादसे में बदल सकती है।





