वंदे भारत ट्रेन आज देश के यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुकी है और यह लगभग सभी राज्यों में संचालित हो रही है। अब यात्रियों को वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का बेसब्री से इंतजार है। इस बीच, एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 30 दिसंबर 2025 को नए साल 2026 से पहले, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ने इतिहास रच दिया। सवाई माधोपुर–कोटा–नागदा सेक्शन पर इसके स्पीड ट्रायल के दौरान ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की टॉप स्पीड हासिल की। इस सफल परीक्षण की जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी।
180 किमी की स्पीड से पटरियों पर दौड़ी वंदे भारत स्पीपर
बता दें कि अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि वंदे भारत स्लीपर का आज कमिश्नर रेलवे सेफ्टी ने टेस्ट किया। यह कोटा नागदा सेक्शन के बीच 180 kmph की स्पीड से चली। और हमारे अपने वॉटर टेस्ट ने इस नई जेनरेशन ट्रेन के टेक्नोलॉजिकल फीचर्स दिखाए।
Vande Bharat Sleeper tested today by Commissioner Railway Safety. It ran at 180 kmph between Kota Nagda section. And our own water test demonstrated the technological features of this new generation train. pic.twitter.com/w0tE0Jcp2h
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) December 30, 2025
आप देख सकते हैं कि वीडियो में स्पष्ट नजर आ रहा है, जब वंदे भारत स्लीपर ट्रेन ट्रायल के दौरान 180 की स्पीड से पटरियों पर दौड़ रही थी, तब केबिन में मौजूद कर्मचारी इसका वीडियो बना रहा होता है। ट्रेन के केबिन में स्पीडोमीटर के ठीक सामने पानी की 4 गिलास रखी होती है। जिसमें पानी भरा होता है लेकिन 180 की रफ्तार में ट्रेन के दौड़ने के बावजूद भी एक बूंद भी पानी का छलकता नहीं है। वीडियो में आप देखेंगे कि ट्रेन की स्पीड स्पीडोमीटर में दिखाता है।
मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त(CCRS) जनक कुमार गर्ग की मौजूदगी में वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का ट्रायल हुआ। इस दौरान मंडल रेल प्रबंधक अनिल कालरा सहित मंडल के वरिष्ठ शाखा अधिकारी और परीक्षण प्रक्रिया के दौरान अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन ,इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई, मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड और फेवली इंडिया प्रा. लि. के अधिकारी मौजूद रहे।
बता दें कि इस सफल हाई स्पीड टेस्ट के बाद वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के आगामी परिचालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि हासिल हुई है। जो भारतीय रेलवे की आत्मनिर्भर और आधुनिक रेल तकनीक को सशक्त रूप से प्रदर्शित करती है।





