जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने 48 घंटे के भीतर पाकिस्तान पर हवाई हमले की योजना पेश की। एनडीटीवी डिफेंस समिट में वायुसेना के उपप्रमुख एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने इस ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विशेष जानकारी साझा की। यह हमला 22 अप्रैल को हुआ था, जिसके बाद भारत ने हाल के दशकों में सबसे तेज सैन्य योजना चक्र शुरू किया।
हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को शीर्ष सैन्य अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें जवाबी कार्रवाई के विकल्पों पर चर्चा की गई। 24 अप्रैल को वायुसेना ने अपनी योजना प्रस्तुत की और 29 अप्रैल तक लक्ष्यों को अंतिम रूप दे दिया गया। 5 मई को हमले की तारीख और समय तय किए गए और 6-7 मई को हमले किए गए। इस दौरान नौ लक्ष्यों को चुना गया, जिसमें से सात सेना को और दो गहरे हवाई हमलों के लिए वायुसेना को सौंपे गए।
यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटे, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने उसी रात श्रीनगर में सुरक्षा समीक्षा की। भारत ने तुरंत गैर-सैन्य जवाबी कदम उठाए, जिसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी चेकपोस्ट बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध और दिल्ली से पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों को निष्कासित करना शामिल था। 25 अप्रैल को सरकार ने 15 राजनीतिक दलों के नेताओं को इसकी जानकारी दी।
मुख्यालयों को बनाया निशाना
वायुसेना ने लश्कर-ए-तैयबा के मुरिदके (अंतरराष्ट्रीय सीमा से 30 किमी) और जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर (पाकिस्तान के भीतर 100 किमी) स्थित मुख्यालयों को निशाना बनाया। मुरिदके में प्रशासनिक ब्लॉक, मार्कर और नेताओं के आवासीय क्वार्टरों पर सटीक हमले किए गए, जिन्हें यूएवी फुटेज ने पुष्टि की। बहावलपुर में पांच लक्ष्यों को नष्ट किया गया, हालांकि वहां नुकसान का आकलन करना अधिक चुनौतीपूर्ण था।





