Sun, Dec 28, 2025

Tulip Garden: हिमाचल में दिख रहा कश्मीर जैसा नजारा, ट्यूलिप की खूबसूरती पर्यटकों को कर रही मंत्रमुग्ध

Written by:Diksha Bhanupriy
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Tulip Garden: हिमाचल में दिख रहा कश्मीर जैसा नजारा, ट्यूलिप की खूबसूरती पर्यटकों को कर रही मंत्रमुग्ध

Tulip Garden Himachal: भारत में घूमने फिरने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड या फिर हिमाचल सभी जगह पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। इन सभी जगहों पर देखने के लिए एक से बढ़कर एक स्थान मौजूद है जो सैलानियों को अपनी और आकर्षित करते हैं।

हिमाचल अपनी खूबसूरत वादियों के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है और यहां का कांगड़ा पहाड़ी प्रदेशों में सबसे खूबसूरत जगह है। इस जगह पर अब ट्यूलिप का मैदानी क्षेत्र तैयार हो चुका है जो खूबसूरत वादियों की शान को और भी बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। यहां पर वैज्ञानिकों ने कड़ी परिश्रम के बाद शानदार ट्यूलिप गार्डन तैयार किया है।

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में मौजूद एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन के बारे में तो सभी ने सुना ही होगा। इस गार्डन में हर साल लाखों फूलों की पैदावार होती है और लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं। कश्मीर की खूबसूरती का एहसास अब हिमाचल में आने वाले सैलानियों को भी होने वाला है।

Tulip Garden

हिमाचल का Tulip Garden

हिमाचल की टी गार्डन सिटी पालमपुर में मौजूद सीएसआईआर और आईएसबीटी संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस खूबसूरत गार्डन को तैयार किया है। कड़े परिश्रम के बाद यहां के मैदानी जमीन को ट्यूलिप जैसे नाजुक फूल की प्रजाति को सहेजने के लिए तैयार किया गया है।

 

 

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वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम का नतीजा यह रहा कि अब लोगों को टी गार्डन सिटी पालमपुर में कश्मीर के टयूलिप गार्डन का अहसास होने लगा है। यहां पर करीब 11 किस्म के 50,000 फूल तैयार किए गए हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बी इस गार्डन का भ्रमण करते हुए देखे गए थे और उन्होंने तस्वीर भी खिंचवाई थी।

टयूलिप गार्डन में ऐसे लगे पौधे 

पालमपुर में बनाए गए इस टयूलिप गार्डन में हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिक संस्थान की ओर से विकास कार्य किया गया है और पूरी तरह से स्वदेशी ट्यूलिप पौधे विकसित किए गए हैं। लाहौल स्पीति में भी इन पौधों को तैयार किया जा रहा है।

Tulip Garden

ट्यूलिप का इतिहास

ट्यूलिप प्रजाति के इतिहास की बात करें तो यह सबसे ज्यादा हालैंड में पाया जाता है लेकिन इसके इतिहास के मुताबिक 1554 में पहली बार यह पौधा टर्की से अस्तित्व में आया था। इसके बाद 1554 में ऑस्ट्रिया और 1571 में हालैंड और 1577 में यह इंग्लैंड ले जाया गया।

1959 में गेनसर नाम के इतिहासकार ने अपने चित्र और लेखों में इस पौधे का वर्णन किया था। इसके बाद यूरोप में इसका उत्पादन लगातार बढ़ता चला गया और आज यह कई देशों में अपनी खूबसूरती की शोभा बिखेर रहा है।

बहुत सुन्दर होता है ट्यूलिप

इस फूल का रंग बहुत गहरा होता है और सुंदर आकार की वजह से यह लोगों को अपनी और आकर्षित करता है। इसकी कई सारी खूबसूरत प्रजातियां हैं और पालमपुर में 11 किस्मों के 50,000 ट्यूलिप उगाए गए। पिछले साल यहां पर 28000 पौधे थे। लेकिन इस बार यह संख्या बढ़ गई है और पर्यटक इस ओर आकर्षित हो रहे हैं।

जून से लेह में शुरू होगा गार्डन

इस साल जून के महीने से लद्दाख की राजधानी लेह में भी टयूलिप गार्डन की शुरुआत कर दी जाएगी। यहां पर डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।

हिमालय जलसंपदा प्रौद्योगिक संस्थान यह चाहता है कि देश में ऐसा मॉडल तैयार हो जाए जिससे बाहर के देशों पर ट्यूलिप के लिए निर्भरता कम हो सके। नई दिल्ली मुंसिपल कॉरपोरेशन के साथ टयूलिप बल्ब को मल्टीप्लाई करने के लिए चर्चा भी चल रही है। वहीं दूसरी और यह खूबसूरत गार्डन देख कर पर्यटक बहुत खुश नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि पहले उन्हें इस खूबसूरती का दीदार करने के लिए श्रीनगर जाना पड़ता था लेकिन अब वह यहीं पर इस मनोरम दृश्य का आनंद ले सकते हैं।