Thu, Dec 25, 2025

आषाढ़ अमावस्या 2025: सिर्फ ये 1 काम कर लें, पितरों की कृपा बरसेगी जीवनभर

Written by:Bhawna Choubey
Published:
आषाढ़ अमावस्या 2025 का दिन पितरों को प्रसन्न करने का खास मौका है। अगर आप सिर्फ एक शुभ कार्य तिल और जल से पितृ तर्पण कर लेते हैं, तो पितरों की कृपा जीवनभर बनी रहती है। जानिए इस दिन के महत्व, विधि और जरूरी सावधानियां इस लेख में।
आषाढ़ अमावस्या 2025: सिर्फ ये 1 काम कर लें, पितरों की कृपा बरसेगी जीवनभर

आषाढ़ अमावस्या 2025 (Ashadha Amavasya 2025) का दिन हिंदू पंचांग में एक विशेष और पुण्यदायी तिथि मानी जाती है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अहम होता है, बल्कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले उपायों के लिए भी उपयुक्त होता है। इस दिन किए गए कार्यों का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है। खास बात ये है कि यदि आप एक विशेष काम कर लें, तो पितृ न केवल आशीर्वाद देंगे बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी बढ़ेगी।

इस लेख में हम जानेंगे कि आषाढ़ अमावस्या का धार्मिक महत्व, इस दिन किए जाने वाले उपाय, और क्यों यह दिन पितृ तर्पण और पिंडदान के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। साथ ही जानेंगे भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप कैसे आपके जीवन को सकारात्मक बना सकता है।

क्या है आषाढ़ अमावस्या का महत्व?

आषाढ़ अमावस्या, साल 2025 में 25 जून को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि को चंद्रमा पूरी तरह से लुप्त हो जाता है और यह दिन आध्यात्मिक साधना, ध्यान और पितरों की शांति के लिए आदर्श माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, व्रत, तर्पण और दान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

ऐसी मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यदि श्रद्धा से तर्पण और विशेष उपाय किए जाएं, तो पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अहम होता है, जिनकी कुंडली में पितृ दोष है।

1. पितृ तर्पण और श्राद्ध: पूर्वजों की आत्मा की शांति का माध्यम

पितृ तर्पण का शास्त्रों में विशेष स्थान है। आषाढ़ अमावस्या के दिन प्रातःकाल पवित्र नदी या घर पर ही तांबे के लोटे में जल लेकर तर्पण करना अत्यंत फलदायी होता है। जल में काले तिल, कुशा और अक्षत मिलाकर ‘ॐ पितृभ्यो नमः’ का उच्चारण करते हुए तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

यदि संभव हो तो गया जी, हरिद्वार, उज्जैन या किसी तीर्थ स्थान पर जाकर पिंडदान किया जाए तो पितृ न केवल तृप्त होते हैं बल्कि अपनी कृपा भी बरसाते हैं। तर्पण के बाद ब्राह्मण भोजन और दान देना भी लाभकारी होता है।

2. इस अमावस्या पर करें ये एक उपाय

  • प्रातः काल स्नान के बाद घर के आंगन या छत पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके एक सफेद कपड़े पर काले तिल और चावल रखकर दीपक जलाएं।
  • साथ ही 1 लोटा जल में काले तिल डालकर पितरों को अर्पित करें।
  • इसके बाद 11 बार ‘ॐ पितृदेवताभ्यः नमः’ मंत्र का जाप करें।
  • यह सरल उपाय पितरों को प्रसन्न करता है और उनका आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।

3. भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप: जीवन को बनाए सकारात्मक

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी होती है। विष्णु पुराण के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या पर भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप करने से मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है। विष्णु जी की पूजा तुलसी दल, पीले पुष्प और पंचामृत से करें और फिर उनके 108 नामों का उच्चारण करें।

उदाहरण के कुछ नाम: विष्णु, केशव, मधुसूदन, गोविंद, नारायण, जनार्दन, श्रीधर, वामन, त्रिविक्रम आदि। यह जाप सुबह के समय या संध्या को किया जा सकता है। इससे न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है।