Navpancham Rajyog 2026 : ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों, राशियों और नक्षत्रों का बड़ा महत्व माना जाता है। हर ग्रह एक निश्चित समय अंतराल के बाद एक से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, जिससे योग राजयोग बनते हैं। वैदिक ज्योतिष पंचांग के अनुसार, 15 जनवरी 2026 को बुध और अरुण ग्रह (यूरेनस) एक-दूसरे के 120 डिग्री पर होंगे जिससे नवपंचम राजयोग का निर्माण होगा। इस दौरान बुध ग्रह मकर राशि में और अरुण ग्रह वृषभ राशि में रहेंगे, जिससे नवम और पंचम भाव का संयोग बनेगा। ज्योतिष शास्त्र में नवपंचम योग को अत्यंत शुभ योगों में गिना जाता है, जो जीवन में प्रगति, सौभाग्य और सकारात्मक बदलाव लाता है। यह राजयोग सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा लेकिन 3 राशियों के लिए शुभ और लाभप्रद सिद्ध हो सकते हैं। आइए जानते है इन भाग्यशाली राशियों के बारे में……..
वृषभ राशि पर प्रभाव: नए साल से पहले महीने में नवपंचम राजयोग का बनना जातकों के लिए फलदायी सिद्ध हो सकता है। जीवन में खुशियों की दस्तक हो सकती है। आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। लंबे समय अटके और रुके कामों को गति मिलेगी। आय में वृद्धि हो सकती है, नए-नए स्रोत उभर सकते हैं। समाज में मान-सम्मान बढ़ सकता है। नए कार्य की योजना बना रहे हैं तो समय उत्तम रहेगा।
मिथुन राशि पर प्रभाव: नए साल 2026 से पहले महीने में बुध और अरुण ग्रह के संयोग से बनने वाला नवपंचम राजयोग जातकों के लिए लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। रुके अटके काम पूरे हो सकते है। नौकरीपेशा लोगों को पदोन्नति, वेतन वृद्धि या नई जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। व्यापारियों के लिए समय बेहद अनुकूल रहने वाला है। विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलने के योग बनेंगे। करियर में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे। आपको पुराने निवेश से लाभ मिलने की संभावना है। नई नौकरी की तलाश पूरी हो सकती है।
मकर राशि पर प्रभाव: यह शुभ राजयोग जातकों के लिए खुशियां लेकर आएगा। आत्मविश्वास और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। इस अवधि में नौकरी या व्यापार में नए अवसर मिल सकते है। भाग्य के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिल सकता है। आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और रुका हुआ पैसा वापस मिल सकता है। नौकरी करने वालों को प्रमोशन और सैलरी वृद्धि संबंधित कोई खबर मिल सकती है। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा। पारिवारिक जीवन में भी सुख-शांति बनी रहेगी।
ऐसे बनता है कुंडली में नवपंचम राजयोग
- ज्योतिष के मुताबिक, नवपंचम राजयोग तब बनता है जब दो ग्रह आपस में पंचम (5वां) और नवम (9वां) भाव या राशि में स्थित होते है। पंचम भाव बुद्धि, शिक्षा, रचनात्मकता और संतान से जुड़ा होता है या जब दो ग्रह एक दूसरे से त्रिकोण भाव में स्थित हो जाते हैं दोनों ग्रहों के बीच 120 डिग्री का कोण बनता है तथा एक ही तत्व राशि होती है।
- ज्योतिष के मुताबिक, मेष, सिंह व धनु को अग्नि राशि, वृषभ, कन्या तथा मकर को पृथ्वी राशि, मिथुन, तुला और कुंभ को वायु राशि और कर्क, वृश्चिक एवं मीन को जल राशि माना जाता है, ऐसे में जब एक ही तत्व वाली दो राशियों में 2 ग्रह पहुंचकर 120 डिग्री का कोण बनाते हैं, तो नवपंचम राजयोग बनता है।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, MP Breaking News किसी भी ज्योतिषीय दावे या भविष्यवाणी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है।इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें)





