Balaghat Farmers cut more than 10,000 cashew trees: सरकारी वादे और नेताओं के आश्वासनों से चले गए बालाघाट जिले के किसानों का सब्र का बांध टूट गया है, आहट होकर वे मेहनत को अपने हाथों से मिटाने का फैसला कर चुके हैं, काजू की खेती करने वाले किसान नए साल के पहले दिन 1 जनवरी 2025 को विरोध स्वरुप 10 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटकर खेती को नष्ट कर देंगे।
नक्सल समस्या प्रभावित जिले बालाघाट के किसानों का कहना है कि सरकार ने उनकी उपज को बेचने के लिए बाजार मुहैया नहीं कराया। उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली, स्थानीय सांसद से भी मिले लेकिन वहां भी निराशा ही हाथ लगी इसलिए अब उनका सब्र जवाब दे गया है और विरोध स्वरुप वे यह कदम उठा रहे हैं, मजबूरी में बे अपनी फसल को नष्ट करने वाले हैं ।
जिला मुख्यालय से 70 किमी की दूरी पर काजू की खेती
2015 में एक एनजीओ शिखर हरित भूमि सेवा संस्थान ने बालाघाट जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर बैहर क्षेत्र में काजू की खेती की शुरुआत की थी। एनजीओ संचालक किसान संतोष टेम्ब्रे ने अपने साथियों की मदद से काजू की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया और फिर एक बंजर पहाड़ी को हरे-भरे बाग में बदल दिया। काजू बोर्ड ने NGO के प्रयासों की सराहना की। शुरुआत में मदद भी दी लेकिन अब सभी ने मुंह फेर लिया है इसलिये अब किसानों के पास खेती नष्ट करने के अलावा कोई रास्ता रास्ता नहीं बचा है।
बंद हो गई है सरकारी मदद
काजू उत्पादक किसान ने कहा, प्रदेश का बागवानी विभाग पहले हमें मदद करता था, किसानों को विभाग से सब्सिडी और पौधे मिल रहे थे लेकिन कुछ साल पहले यह बंद हो गया। अब न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार कोई मदद कर रही है। किसान संतोष टेम्ब्रे ने कहा बालाघाट में उत्पादित काजू की गुणवत्ता गोवा के काजू के बराबर है। फिर भी सरकार को किसान की परवाह नहीं है, कच्चे काजू को प्रोसेस करने या बेचने के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है। आसपास कोई बाजार सुविधा नहीं है।
बच्चे की तरह पौधे की देखभाल की
बैहर के किसान ने कहा मैंने काजू के पेड़ों की बच्चों की तरह देखभाल की है, अपनी 1.5 एकड़ जमीन पर लगभग 125 काजू के पौधे लगाए। हमसे वादा किया गया था कि बैहर में एक प्रोसेसिंग यूनिट होगी। लेकिन ये सिफ वादा ही रहा। पिछले साल हमारी उपज ख़राब हो गई क्योंकि हम अपनी उपज बेच नहीं पाए। इसलिए इस बार हमारे पास पेड़ काटने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
सांसद से भी नहीं मिली मदद
किसानों की मानें तो उन्होंने स्थानीय सांसद भारती पराधी से कई बार संपर्क किया। उन्होंने भी मदद का वादा किया, वे सितंबर 2024 में बैहर आई और काजू के खेतों का दौरा किया। कई अन्य संगठन भी मदद का आश्वासन देकर गए लेकिन ये सब वादे और आश्वासन झूठे निकले हाथ में सिर्फ निराशा ही लगी है, इसलिए पेड़ काटने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा।





