मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है। पिछले सालों के मुकाबले सरकारी स्कूलों में इस बार लगभग 3.50 लाख कम प्रवेश हुए हैं। वहीं 5000 से अधिक स्कूल बंद होने की कगार पर है। इसे लेकर उमंग सिंघार ने सवाल किया है कि ‘बच्चे पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हैं?’ उन्होंने इस बात पर सरकार से जवाब मांगा है कि शिक्षा को सबसे आखिरी स्थान पर क्यों रखा जा रहा है।
हालिया UDISE आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हजारों सरकारी स्कूलों में छात्रों का ड्रॉपआउट बढ़ा है। वहीं लगभग पांच हज़ार स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की संख्या 10 से कम है। इस कारण सरकार ऐसे स्कूलों को बंद करने की योजना बना रही है। ऐसा हुआ तो नए सत्र में प्रदेश में पांच हजार से अधिक सरकारी स्कूलों पर ताला पड़ जाएगा।
सरकारी स्कूलों की हालत चिंताजनक
यूडाइस की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 5,179 ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां दस से भी कम विद्यार्थी नामांकित हैं। वहीं, कुछ स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है और चार हज़ार से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक है। प्रदेश में 1200 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां नामांकन शून्य है। पिछले साल के मुकाबले इस सत्र में सरकारी स्कूलों में नामांकन लगभग 3.44 लाख कम दर्ज हुआ है।
सरकार की योजना के अनुसार इस स्थिति में कम नामांकन वाले स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा और इन स्कूलों के विद्यार्थियों को नजदीकी विद्यालयों में (लगभग एक किलोमीटर के दायरे में) स्थानांतरित किया जाएगा। वहीं शिक्षकों को दूरदराज़ और जरूरत वाले स्कूलों में तैनात किया जाएगा। इस तरह शिक्षा विभाग द्वारा कम नामांकन वाले स्कूलों का विलय या समायोजन करने की तैयारी है।
कांग्रेस ने प्रदेश सरकार से किए सवाल
इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने राज्य सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत “बेहद चिंताजनक और शर्मनाक” हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि स्कूलों की दूरी बढ़ने, शिक्षकों की कमी और कमजोर होती शिक्षा व्यवस्था के कारण बच्चे पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में एक किलोमीटर की दूरी भी बच्चों के लिए बड़ी बाधा बन जाती है जहां गरीब परिवार न तो रोज़ का बस किराया उठा सकते हैं और न ही बच्चों की सुरक्षा जोखिम में डाल सकते हैं। उमंग सिंघार ने कहा कि ‘सरकार को तुरंत जवाब देना होगा क्यों बच्चों को स्कूल से बाहर धकेला जा रहा है? और शिक्षा को सबसे आख़िरी प्राथमिकता क्यों बना दिया गया है?’ उन्होंने कहा कि अगर आज स्कूल बंद होंगे, तो कल सपने, रोज़गार और भविष्य सब बंद हो जाएंगे।





