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Sat, Dec 20, 2025

नर्सिंग पीजी कोर्स काउंसलिंग प्रक्रिया शुरु, NSUI ने हाई कोर्ट का माना आभार, जताई इस बात की चिंता

Written by:Atul Saxena
Published:
रवि परमार ने कहा कि विभागीय लापरवाही के चलते हजारों विद्यार्थी अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हुए हैं, जबकि जो छात्र-छात्राएं मध्य प्रदेश में ही पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष करना पड़ रहा है।
नर्सिंग पीजी कोर्स काउंसलिंग प्रक्रिया शुरु, NSUI ने हाई कोर्ट का माना आभार, जताई इस बात की चिंता

MP Nursing Council

मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा को लेकर लंबे समय से चली आ रही अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही के बाद उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार नर्सिंग काउंसिल ने पीजी कोर्स (पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग एवं एमएससी नर्सिंग) की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह प्रकिया आज 19 दिसंबर से शुरु हो गई है और ये 30 दिसंबर तक पूरी हो जायेगी, कोर्ट ने यह आदेश NSUI की याचिका पर दिया , जिससे प्रदेश के हजारों नर्सिंग विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है, याचिका लगाने वाले NSUI प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने न्यायालय क आभार जताया है साथ ही 75 प्रतिशत खाली सीटों पर चिंता जताई है।

छात्र नेता रवि परमार ने कहा कि नर्सिंग घोटाले के बाद से मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा का स्तर लगातार गिरा है। बीते तीन वर्षों से नर्सिंग की बड़ी संख्या में सीटें खाली पड़ी हैं। सत्र 2023-24 में चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जीरो ईयर घोषित करना पड़ा, वहीं 2024-25 में मात्र 25 से 30 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हो सके। अब सत्र 2025-26 में भी वही स्थिति बनती नजर आ रही थी, लेकिन काउंसलिंग प्रक्रिया में हो रही देरी के खिलाफ NSUI ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

NSUI ने इसलिये खटखटाया न्यायालय का दरवाजा 

रवि परमार ने कहा कि विभागीय लापरवाही के चलते हजारों विद्यार्थी अन्य राज्यों में पलायन करने को मजबूर हुए हैं, जबकि जो छात्र-छात्राएं मध्य प्रदेश में ही पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष करना पड़ रहा है। NSUI ने हमेशा विद्यार्थियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ेगी।

इन आंकड़ों पर एक नजर डालना जरूरी  

NSUI भोपाल जिला अध्यक्ष अक्षय तोमर ने कहा कि पीबी बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग में प्रवेश के आंकड़े प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को उजागर करते हैं। पीबी बीएससी नर्सिंग में शासकीय कॉलेजों की 400 सीटों में से मात्र 334 पर ही प्रवेश हो सका, जबकि 66 सीटें खाली रह गईं। वहीं निजी कॉलेजों में 3376 सीटों के मुकाबले केवल 350 छात्रों ने प्रवेश लिया और 3018 सीटें रिक्त हैं। इसी प्रकार एमएससी नर्सिंग में शासकीय कॉलेजों की 405 सीटों में से 335 पर प्रवेश हुआ, 70 सीटें खाली रहीं, जबकि निजी कॉलेजों की 1551 सीटों में से केवल 431 सीटें ही भर पाईं और 1120 सीटें खाली हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कुल मिलाकर केवल लगभग 25 प्रतिशत सीटों पर ही प्रवेश हुआ है और करीब 75 प्रतिशत सीटें खाली पड़ी हैं।  यही चिंताजनक स्थिति बीएससी नर्सिंग और जीएनएम नर्सिंग पाठ्यक्रमों में भी देखने को मिल रही है, जो नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था की विफलता और अव्यवस्थाओं की ओर सीधा इशारा करती है।

ये जीत NSUI की जीत नहीं विद्यार्थियों की जीत

अक्षय तोमर ने कहा कि यह फैसला केवल NSUI की जीत नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के नर्सिंग विद्यार्थियों की जीत है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा विभाग से मांग की कि भविष्य में काउंसलिंग प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए और समयबद्ध तरीके से प्रवेश सुनिश्चित किए जाएं, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

ये है PG काउंसलिंग की पूरी प्रक्रिया