केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने एक बार फिर अपने बयान से बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। गया में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांझी ने खुले मंच से कहा कि सभी विधायक और सांसद कमीशन लेते हैं। उन्होंने इसे सामान्य बताते हुए अपनी पार्टी के विधायकों को भी नसीहत दे डाली कि अगर 10 प्रतिशत कमीशन मुमकिन न हो, तो कम से कम 5 प्रतिशत तो लिया ही जा सकता है।
मांझी ने विकास कार्यों के लिए जनप्रतिनिधियों को मिलने वाली राशि का गणित भी समझाया। उन्होंने कहा कि विधायकों को पांच करोड़ रुपये तक का फंड मिलता है। इसका 10 प्रतिशत भी एक बड़ी रकम होती है। मांझी ने दावा किया कि उन्होंने खुद कई बार मिलने वाला कमीशन पार्टी को दिया है और विधायकों को भी सुझाव दिया कि ऐसे संसाधनों का इस्तेमाल पार्टी को मजबूत करने के लिए किया जाना चाहिए।
गठबंधन और सीटों पर कड़े तेवर
कमीशन वाले बयान के अलावा, जीतन राम मांझी ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भी आक्रामक रुख दिखाया। उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि HAM को कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी रखनी चाहिए। मांझी ने स्पष्ट संकेत दिया कि अगर गठबंधन में उनकी बातों को तवज्जो नहीं मिली, तो पार्टी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का विकल्प भी खुला रख सकती है।
NDA में ‘न्याय’ और राज्यसभा की मांग
राजनीतिक रणनीतियों पर बात करते हुए मांझी ने NDA गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के साथ न्याय नहीं हो रहा है। उन्होंने एक बार फिर राज्यसभा सीट की अपनी पुरानी मांग को दोहराया और चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर पार्टी को उसका वाजिब हक नहीं मिला, तो उन्हें अपने विकल्पों पर फिर से विचार करना पड़ेगा। भ्रष्टाचार और नैतिकता पर चल रही राजनीतिक बहस के बीच एक केंद्रीय मंत्री का यह बयान विपक्षी दलों को बैठे-बिठाए मुद्दा दे सकता है।





