हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत एक बेहद संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दे से हुई – भिवानी की प्ले स्कूल शिक्षिका मनीषा की हत्या। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लिए कांग्रेस विधायक जब वेल तक पहुंच गए, तो सदन का माहौल गंभीर से तूफानी हो गया। विपक्ष ने जहां इस हत्याकांड को कानून-व्यवस्था की विफलता बताया, वहीं सरकार ने इसे राजनीति से प्रेरित प्रदर्शन करार दिया। आरोप-प्रत्यारोप के इस घमासान में हरियाणा की बेटियों की सुरक्षा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है।
मनीषा हत्याकांड पर गरमाया सदन, कांग्रेस का काम रोको प्रस्ताव
भिवानी की शिक्षिका मनीषा की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। विधानसभा सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस ने इस मुद्दे को सदन में जोर-शोर से उठाया। कांग्रेस विधायकों ने मनीषा के लिए इंसाफ की मांग करते हुए ‘काम रोको प्रस्ताव’ लाया। उनके हाथों में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के पोस्टर थे और वे नारे लगाते हुए वेल तक जा पहुंचे। इस विरोध के चलते सदन की कार्यवाही छह बार स्थगित करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री बोले – “मामले पर चर्चा को तैयार”, विपक्ष पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार मनीषा के मामले में पूरी तरह गंभीर है और इस पर चर्चा को तैयार है। उन्होंने कहा, “वह हमारी बेटी थी। हम इस केस को सीबीआई को सौंप चुके हैं। कांग्रेस को राजनीति से ऊपर उठकर इस मामले को देखना चाहिए।” साथ ही उन्होंने विपक्ष के कार्यकाल को निशाने पर लेते हुए कहा कि तब तो एफआईआर तक दर्ज नहीं होती थी। “हमने जीरो एफआईआर की व्यवस्था लागू की,” उन्होंने जोड़ा।
भूपेंद्र हुड्डा का पलटवार – “यह केवल हत्या नहीं, कानून-व्यवस्था का सवाल”
पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सदन में कहा कि यह एक अकेली घटना नहीं, बल्कि राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था की बानगी है। “हर दूसरे दिन कोई न कोई जघन्य अपराध सामने आता है। जनता डरी हुई है। ये केवल एक बेटी की हत्या नहीं, बल्कि हरियाणा की प्रशासनिक असफलता का प्रतीक है,” हुड्डा ने कहा। कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने भी इसी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सीधा सवाल है।
स्पीकर और कांग्रेस में तीखी बहस, कार्यवाही बाधित
विरोध प्रदर्शन के दौरान स्पीकर हरविंद्र कल्याण और कांग्रेस विधायकों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। स्पीकर ने कहा कि यह सदन है, न कि कोई मोहल्ले की पंचायत। उन्होंने प्रदर्शन को ‘गुंडागर्दी’ करार दिया और कांग्रेस से नियमों के अनुसार चर्चा की अपील की। लेकिन कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी बंद नहीं की। स्पीकर ने यह भी कहा कि वे दिल्ली की तरह की परंपराएं यहां लागू नहीं होने देंगे।
पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार तक, मनीषा केस में उठते सवाल
मनीषा की मौत के बाद जनता में गहरा आक्रोश है। तीन बार पोस्टमार्टम, विरोध प्रदर्शन और फिर सीबीआई जांच तक मामला पहुंचा। 19 वर्षीय मनीषा 11 अगस्त को एक नर्सिंग कॉलेज में दाखिले की जानकारी लेने निकली थी और 13 अगस्त को उसका शव खेत में मिला। इस हृदयविदारक घटना ने न केवल सरकार बल्कि पूरे तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा कर दी है, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि इससे पहले भी कई मामलों में बेटियों को न्याय नहीं मिला।





