जबलपुर हाईकोर्ट ने आज ई-रिक्शा और बैटरी चालित वाहनों को मोटर व्हीकल एक्ट से बाहर रखने वाले केंद्र सरकार के 2018 के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार सहित जबलपुर कलेक्टर, एसपी और आरटीओ को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।
यह याचिका जबलपुर निवासी डॉक्टर पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की तरफ से दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि ई-रिक्शा की अनियंत्रित गतिविधि से शहर की यातायात व्यवस्था बाधित हो रही है और लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं। याचिकाकर्ता के वकील दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि हाल ही में जबलपुर कलेक्टर ने स्कूलों के आसपास ई-रिक्शा पर रोक लगाने के बावजूद भी ये वाहन तेजी से सड़क पर चल रहे हैं, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।
ई-रिक्शा और बैटरी चालित वाहनों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार ने 2018 में एक नोटिफिकेशन जारी कर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 66 के तहत ई-रिक्शा और बैटरी चालित वाहनों को एक्ट के दायरे से बाहर कर दिया था। इसी नोटिफिकेशन को नागरिक उपभोक्ता मंच ने चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह अधिसूचना स्वयं ही मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ है और इसके कारण सड़कों पर हजारों ई-रिक्शा बेधड़क दौड़ रहे हैं जिनमें नाबालिग बच्चे भी चालक के रूप में शामिल हैं और दुर्घटनाएं आम हो गई हैं।
अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को जारी किया नोटिस
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि हाल ही में जबलपुर कलेक्टर ने स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने वाले ई-रिक्शा पर रोक लगाई थी, इसके बावजूद भी ये वाहन तेज रफ्तार से सड़कों पर दौड़ रहे हैं। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र के नोटिफिकेशन को रद्द कर ई-रिक्शा को मोटर व्हीकल एक्ट के दायरे में लाया जाए, ताकि इनके पंजीयन, लाइसेंस और नियमों का पालन अनिवार्य हो। कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकार सहित जबलपुर कलेक्टर, एसपी और आरटीओ को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।





