उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह में दीप प्रज्वलित किया। इस दौरान उन्होंने डॉक्टर पूर्णिमा पांडेय, मालिनी अवस्थी, दिलजीत कौर और संगीतकार केवल कुमार को सम्मानित किया।
कार्यक्रम में पूर्व सांसद और नृत्यांगना सोनल मान सिंह और संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल, कुलपति प्रो मांडवी सिंह, एमएलसी अवनीश कुमार, एमएलसी लाल जी प्रसाद, एमएलए नीरज बोरा, एमएलसी मुकेश शर्मा, विधायक अमरेश और विधायक जय देवी समेत अन्य अतिथियों की मौजूदगी रही।
सीएम योगी ने विश्वविद्यालय को दी शताब्दी वर्ष की बधाई
सीएम योगी ने कहा कि विश्वविद्यालय का शताब्दी वर्ष एक बड़ी यात्रा है। ये अवसर हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ये यूपी का पहला संस्कृत विश्वविद्यालय है। मैं यहां सरकार और प्रदेशवासियों की ओर भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय को दिल से बधाई देने आया हूं, जो आज उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए उत्सुक दिख रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शताब्दी समारोह का यह उद्घाटन सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना, उत्कृष्टता की उसकी खोज और उसकी राष्ट्रीय पहचान का एक प्रतिबिंब है, जिसने पीढ़ी दर पीढ़ी भारत की सांस्कृतिक चेतना, उसकी आवाज, उसकी लय और उसके मूल्यों को एक नई पहचान दी है।
संस्कृति में होती है राष्ट्र की आत्मा- सीएम योगी
उन्होंने कहा कि इन 100 सालों में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय ने न केवल भारतीय संगीत, नृत्य, नाटक और ललित कलाओं को संरक्षित किया है बल्कि उन्हें आधुनिक शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करने का भी प्रयास किया है जिससे सांस्कृतिक कार्यकर्ता राष्ट्र-निर्माण में योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि यह साबित भी किया है कि एक संस्कृति कर्मी भी राष्ट्र निर्माण में सहयोग दे सकता है। राष्ट्र की आत्मा संस्कृति में होती है। अगर संस्कृति अलग कर दिया जाए राष्ट्र से तो वह खंडहर हो जाता है।
विश्वविद्यालय के नवीन भवन के लिए सरकार ने दी 6 एकड़ भूमि
सरकार ने लखनऊ में 6 एकड़ भूमि प्रदान की है, जहां भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय का नवीन भवन बनेगा। वह शिक्षा, शोध और साधना के लिए वैश्विक मानक का होगा। उन्होंने कहा कि यहां पर ओपन थियेटर होना चाहिए, कम से कम दो ऑडिटोरियम होना चाहिए। लाइब्रेरी होना चाहिए। हम पुराने भवन को म्यूजियम बनाएंगे और सौ वर्ष में जो भी शिक्षक, प्रसिद्ध छात्र और अन्य लोग जुड़े रहे उनके आंकड़ों को एकत्र कर म्यूजियम में रखेंगे। शताब्दी वर्ष को लेकर उन्होंने कहा इस बार अलग-अलग दिन पुरातन छात्रों की सौ प्रस्तुति कराएं। जिससे कि उनके बारे में भी लोगों को जानकारी मिल सके।





