Tue, Dec 23, 2025

झारखंड सरकार की कैबिनेट बैठक खत्म, पेसा नियमावली को मिली हरी झंडी, अन्य इन फैसलों पर भी लगी मुहर

Written by:Shyam Dwivedi
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आज मंगलवार को राजधानी रांची के प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। जिसमें सबसे प्रमुख एजेंडा पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज) नियमावली को औपचारिक मंजूरी दे दी गई। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री ने दी।
झारखंड सरकार की कैबिनेट बैठक खत्म, पेसा नियमावली को मिली हरी झंडी, अन्य इन फैसलों पर भी लगी मुहर

आज मंगलवार को राजधानी रांची के प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। जिसमें सबसे प्रमुख एजेंडा पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज) नियमावली को औपचारिक मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही राज्य के विकास और जनकल्याण से जुड़े कई अहम प्रस्तावों पर भी मुहर लगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कैबिनेट में पेसा को लेकर एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाया गया है। व्यापक जन-विमर्श, विभिन्न विभागों के मंतव्यों और जमीनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पेसा एक्ट की स्पष्ट नियमावली तैयार की गई है ताकि यह कानून सिर्फ कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि राज्य की जनता के लिए वास्तविक अधिकारों का माध्यम बने। विशेष रूप से शेड्यूल एरिया में इसे पूरी संवेदनशीलता और प्रभावी ढंग से धरातल पर उतारने का संकल्प है, ताकि ग्राम सभा सशक्त हो, स्वशासन मजबूत बने और आदिवासी समुदाय को उनका हक मिले।

बता दें कि पेसा कानून के माध्यम से अब पंचायतों को जमीन और खनिजों पर अधिक नियंत्रण मिलेगा। ग्राम सभा अपने क्षेत्र में खनन कार्यों पर नियंत्रण के अलावा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएगी। इसके अलावा वन भूमि के प्रबंधन और उससे जुड़े अहम निर्णय में भी ग्राम सभा को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त होंगे। अधिसूचना जारी होते ही राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में पेसा एक्ट लागू होगा। इसके दायरे में 15 जिले होंगे।

क्या है पेसा कानून?

पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996, जिसे आमतौर पर PESA कानून या पेसा कानून कहा जाता है, भारत में एक खास कानून है। इसे इसलिए बनाया गया था ताकि पंचायती राज व्यवस्था के नियम-कानूनों को अनुसूचित क्षेत्रों में भी लागू किया जा सके। ये अनुसूचित क्षेत्र वे इलाके हैं जहां ज्यादातर आदिवासी समुदाय रहते हैं। पहले, इन इलाकों को 73वें संविधान संशोधन से बाहर रखा गया था, जिस संशोधन से पूरे देश में पंचायती राज संस्थाएं बनाई गई थीं। पेसा कानून का मुख्य मकसद आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देना है। यह उन्हें ग्राम सभाओं के जरिए सशक्त करता है, ताकि वे अपने संसाधनों और मामलों का प्रबंधन खुद कर सकें।

इन प्रस्तावों पर भी लगी मुहर

  • डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पदों का पुनर्गठन
  • शैक्षणिक गैर शैक्षणिक पद के लिए 38 नए पद हुए सृजित
  • दुमका में 7 किलोमिटर सड़क के लिए 31 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति
  • जमशेदपुर में सड़क के लिए 41 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति
  • टेक होम राशन के लिए सामग्री आपूर्तिकर्ता को अवधि विस्तार
  • पेसा नियमावली को मंत्रीपरिषद की स्वीकृति
  • बाल कल्यान वात्सल्य योजना के लिए मार्गदर्शिका को मंजूरी
  • आकांशा कार्यक्रम के तहत शिक्षकों और समन्वयकों के वेतन में वृद्धि
  • 21 कस्तूरबा गांधी विद्यालयों के लिए राशि को मंजूरी
  • वनरक्षियों के प्रोन्नति के लिए नियमावली में आंशिक संशोधन
  • राज्यपत्रित और अराजपत्रित सेवा में सीधी नियुक्ति के लिए नियमावली को पांच साल का विस्तार
  • मैट्रिक की परीक्षा अब प्रारंभिक ओर मुख्य परीक्षा के रूप में होगी
  • इंटरमीडिएट की परीक्षा नियमावली में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी
  • मोटरयान निरीक्षक के 21 पदों को मंजूरी
  • विधानसभा के शीतकालीन सत्र के सत्रावसान को मंजूरी