शादी के बाद सिर्फ लड़की ही नहीं, लड़का भी एक नए सफर की शुरुआत करता है। लेकिन अक्सर हम परवरिश (Parenting Tips) में बेटियों को सिखाते हैं कि कैसे परिवार संभालना है, रिश्ते निभाने हैं और समझदारी दिखानी है, जबकि बेटों को इन बातों से अनजान छोड़ दिया जाता है।
परिणाम ये होता है कि शादी के बाद छोटी-छोटी बातों में झगड़े होते हैं, रिश्तों में तनाव आ जाता है और कई बार तो बात तलाक तक पहुंच जाती है। इसलिए ज़रूरी है कि शादी से पहले माता-पिता बेटे को भी कुछ अहम जीवन कौशल (Life Skills) सिखाएं, ताकि वो एक संतुलित और समझदार जीवनसाथी बन सके।
बेटों की परवरिश में क्यों जरूरी है मानसिक और भावनात्मक तैयारी
1. घरेलू कामों में हाथ बंटाना सिखाएं
माना कि लड़का नौकरी करता है या बाहर मेहनत करता है, लेकिन घर की जिम्मेदारी सिर्फ लड़की की नहीं होती। शादी से पहले बेटे को खाना बनाना, बर्तन धोना, सफाई जैसे छोटे-मोटे काम जरूर सिखाएं। इससे न सिर्फ वो खुद पर आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि पत्नी की इज्जत भी करेगा। जब पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, तो घरेलू जिम्मेदारियों को बांटना जरूरी हो जाता है। इससे रिश्ता संतुलित रहता है।
2. भावनाएं समझना और ज़ाहिर करना सिखाएं
अक्सर लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि “मर्द रोते नहीं”, “मजबूत बनो”, जिससे वो अपनी भावनाएं दबाना सीख जाते हैं। लेकिन एक सफल रिश्ता सिर्फ समझदारी से नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव से भी चलता है। बेटे को सिखाएं कि वो अपनी भावनाएं खुलकर ज़ाहिर कर सके, चाहे वो गुस्सा हो, दुख हो या प्यार। इससे उसका रिश्ता मजबूत होगा। बेहतर कम्युनिकेशन से रिश्ता गहरा होता है और गलतफहमियां कम होती हैं।
3. बराबरी का नजरिया अपनाना सिखाएं
शादी में कोई बड़ा या छोटा नहीं होता। इसलिए बेटे को सिखाएं कि वो पत्नी को बराबरी का दर्जा दे। उसके फैसलों को अहमियत दे, उसे अपनी जिंदगी के हर फैसले में शामिल करे और उसके करियर को भी उतनी ही प्राथमिकता दे जितनी अपनी नौकरी को देता है। आज की महिलाएं सिर्फ गृहिणी नहीं, बल्कि अपने सपनों को पूरा करने वाली प्रोफेशनल्स भी हैं। ऐसे में पति का सपोर्ट बहुत मायने रखता है।





