MP Breaking News
Wed, Dec 17, 2025

व्यापार पर नहीं होना चाहिए दबाव, टैरिफ युद्ध के बीच मोहन भागवत ने स्वदेशी पर दिया जोर

Written by:Mini Pandey
Published:
आरएसएस के शताब्दी समारोह 26 अगस्त से शुरू हुए और 28 अगस्त को समाप्त होंगे। संगठन की 1925 में विजयदशमी पर स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं।
व्यापार पर नहीं होना चाहिए दबाव, टैरिफ युद्ध के बीच मोहन भागवत ने स्वदेशी पर दिया जोर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी समारोह के दूसरे दिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के महत्व पर बल दिया। दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय समारोह में बोलते हुए भागवत ने विदेशी दबाव के खिलाफ सतर्क रहने की बात कही, विशेष रूप से आज से भारत पर लागू हुए अमेरिका के 50% टैरिफ का परोक्ष उल्लेख करते हुए। उन्होंने कहा, “अंतरराष्ट्रीय व्यापार चलना चाहिए लेकिन इसमें कोई दबाव नहीं होना चाहिए। स्वदेशी का पालन करना चाहिए।”

राष्ट्रीय गौरव और आर्थिक स्वतंत्रता

मोहन भागवत ने उपभोक्ता विकल्पों को राष्ट्रीय गौरव और आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक बताते हुए कहा, “हम घर पर शिकंजी बनाकर पी सकते हैं। कोल्ड ड्रिंक क्यों पीना? जो हमारे देश में बनता है, उसे बनाएं और देश में ही खाएं।” उनकी यह टिप्पणी आरएसएस के स्वदेशी और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के दर्शन को दर्शाती है जो विदेशी प्रभाव को कम करने पर केंद्रित है।

विजयदशमी पर स्थापना के 100 वर्ष

आरएसएस के शताब्दी समारोह 26 अगस्त से शुरू हुए और 28 अगस्त को समाप्त होंगे। संगठन की 1925 में विजयदशमी पर स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं। भागवत ने कहा, “1925 में विजयदशमी के बाद डॉक्टर साहब ने घोषणा की थी कि आज हम यह संघ शुरू करेंगे। यह समूचे हिंदू समाज का संगठन है।” उन्होंने आरएसएस की नींव को शुद्ध सात्विक प्रेम और सामूहिक जिम्मेदारी पर आधारित बताया। भागवत ने प्रारंभिक संघ प्रचारक श्री दादाराव परमार्थ के हवाले से कहा, “आरएसएस हिंदू राष्ट्र के जीवन मिशन का विकास है।” संगठन अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है और इस वर्ष विजयदशमी तक देशभर में समारोह आयोजित किए जाएंगे।