ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्होंने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा की, ने इस अनुभव को पूरे राष्ट्र का मिशन बताया। इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में शुक्ला ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव जमीन पर दी गई ट्रेनिंग से बिल्कुल अलग था। उन्होंने इस मिशन को संभव बनाने के लिए भारत सरकार, इसरो और शोधकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। शुक्ला ने कहा, “यह अविश्वसनीय अनुभव था और मैं इसे शब्दों में बयां करने के लिए संघर्ष कर रहा हूं।”
शुभांशु शुक्ला ने अपने प्रशिक्षण और मिशन की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि वह क्रू ड्रैगन अंतरिक्षयान में मिशन पायलट थे और उन्हें कमांडर के साथ मिलकर यान के सिस्टम के साथ काम करना था। भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा डिजाइन किए गए प्रयोगों को पूरा करने के अलावा, उन्होंने स्टेम प्रदर्शन और फोटो-वीडियो रिकॉर्डिंग भी की। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष में पहले कुछ दिन कठिन थे और गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढलना एक चुनौती थी।” शुक्ला ने उम्मीद जताई कि जल्द ही कोई भारतीय अपनी रॉकेट और कैप्सूल से अंतरिक्ष यात्रा करेगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र में हुई प्रगति पर प्रकाश
इसरो अध्यक्ष डॉ. नारायणन ने पिछले दस वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 2015 से 2025 के बीच इसरो ने 2005 से 2015 की तुलना में लगभग दोगुनी मिशन पूरे किए। पिछले छह महीनों में तीन महत्वपूर्ण मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए गए, जिनमें एक्सिओम-4 मिशन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण एशियाई देशों के लिए सैटेलाइट बनाया और जी20 देशों के लिए जी20 सैटेलाइट लॉन्च किया। दस साल पहले केवल एक स्टार्टअप था, लेकिन आज 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप हैं।
भारतीय नागरिकों के लिए गर्व का विषय
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने शुक्ला की उपलब्धियों को विकसित भारत 2047 के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा और सुरक्षित वापसी न केवल मिशन की सफलता है, बल्कि भारतीय नागरिकों के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय है। शुक्ला ने रविवार को दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उनकी यह यात्रा भारत के गगनयान मिशन के लिए भी उपयोगी साबित होगी।





