मध्य प्रदेश के सतना जिले में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। इस गंभीर लापरवाही पर स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जिला अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी समेत तीन कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई मामले की जांच के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सतना जिला अस्पताल के पैथोलॉजिस्ट और ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल को सस्पेंड कर दिया गया है। उनके अलावा दो लैब टेक्नीशियन, राम भाई त्रिपाठी और नंदलाल पांडे पर भी निलंबन की गाज गिरी है। प्रशासन ने साफ किया है कि मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
पूर्व सिविल सर्जन से मांगा गया जवाब
विभागीय कार्रवाई का दायरा बढ़ाते हुए सरकार ने सतना जिला अस्पताल के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. मनोज शुक्ला को भी घेरे में लिया है। उन्हें कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया गया है। विभाग ने डॉ. शुक्ला से लिखित में स्पष्टीकरण मांगा है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उनके खिलाफ भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
जांच समिति की रिपोर्ट बनी आधार
इस पूरे मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 16 दिसंबर 2025 को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस सात सदस्यीय समिति की अध्यक्षता आयुष्मान भारत के सीईओ और State Blood Transfusion Council (SBTC) के संचालक डॉ. योगेश भरसट (IAS) कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, समिति ने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट में ब्लड बैंक के संचालन और रक्त परीक्षण की प्रक्रियाओं में गंभीर खामियां पाई हैं। इसी रिपोर्ट को आधार बनाते हुए यह निलंबन आदेश जारी किए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
सतना में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाला यह मामला तब सामने आया था, जब थैलेसीमिया से पीड़ित कुछ बच्चों में HIV संक्रमण की पुष्टि हुई। जानकारी के मुताबिक, जनवरी से मई 2025 के बीच 3 से 15 वर्ष की उम्र के छह बच्चे HIV संक्रमित पाए गए थे। आशंका जताई गई कि इन बच्चों को चढ़ाया गया खून संक्रमित था।
मामला प्रकाश में आते ही हड़कंप मच गया और सरकार ने आनन-फानन में जांच के आदेश दिए। फिलहाल, प्रशासन का कहना है कि प्रभावित बच्चों का इलाज और उनकी काउंसलिंग विशेषज्ञों की निगरानी में करवाई जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी विस्तृत जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर और भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है।





