Fri, Dec 26, 2025

दक्षिण अफ्रीका ने रचा इतिहास! इस टीम को दिया टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ा टारगेट, क्या टूटेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड?

Written by:Rishabh Namdev
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दक्षिण अफ्रीका ने जिम्बाब्वे के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में ऐसा स्कोर खड़ा किया, जो अब तक किसी भी टीम ने टेस्ट क्रिकेट में किसी विरोधी के सामने नहीं रखा था। 537 रनों के विशाल लक्ष्य ने इतिहास बना दिया है। बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में अफ्रीकी खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन किया।
दक्षिण अफ्रीका ने रचा इतिहास! इस टीम को दिया टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ा टारगेट, क्या टूटेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड?

दक्षिण अफ्रीका और जिम्बाब्वे के बीच बुलावायो में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में कुछ ऐसा हुआ जो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। अफ्रीकी टीम ने दो पारियों में धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए जिम्बाब्वे को 537 रनों का टारगेट दिया। ये जिम्बाब्वे के पूरे 33 साल के टेस्ट इतिहास में किसी भी टीम द्वारा दिया गया सबसे बड़ा लक्ष्य बन गया है।

दरअसल इस टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका ने पहली पारी में ही दम दिखाया, लेकिन असली धमाका दूसरी पारी में हुआ। ऑलराउंडर वियान मुल्डर ने 147 रनों की करियर की सबसे बेहतरीन पारी खेली। सिर्फ बल्ले से ही नहीं, गेंद से भी उन्होंने कमाल करते हुए चार विकेट चटकाए।

जिम्बाब्वे के लिए यह लक्ष्य तोड़ना बेहद मुश्किल

वहीं वियान मुल्डर के अलावा टीम के कप्तान केशव महाराज ने भी बल्ले से 51 रन ठोके। उन्होंने पहली पारी में गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट भी निकाले थे। दोनों खिलाड़ियों के ऑलराउंड प्रदर्शन की बदौलत दक्षिण अफ्रीका ने 369 रन बनाकर मुकाबले को एकतरफा कर दिया। 537 रनों का टारगेट टेस्ट क्रिकेट में किसी भी टीम के लिए बहुत भारी होता है, लेकिन जिम्बाब्वे जैसे अनुभवहीन और कमज़ोर टेस्ट रिकॉर्ड वाली टीम के लिए यह लगभग नामुमकिन जैसा है। हालांकि जिम्बाब्वे ने लक्ष्य का पीछा करते हुए 32 रन पर एक विकेट गवा दिया है।

टीम का सबसे बड़ा सफल रनचेज़ सिर्फ 174 रन

दरअसल टी कैटानो मात्र 12 रन बनाकर ही क्रोबिन बोश के शिकार बन गए। बता दें कि अब तक जिम्बाब्वे ने अपने पूरे टेस्ट इतिहास में सिर्फ 14 मुकाबले जीते हैं और उनका अब तक सबसे बड़ा सफल रनचेज़ सिर्फ 174 रनों का रहा है, जो उन्होंने हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ हासिल किया था। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका ने न सिर्फ जिम्बाब्वे को चुनौती दी है, बल्कि इतिहास में अपना नाम भी दर्ज करवा लिया है। अब देखना होगा कि जिम्बाब्वे इस लक्ष्य का कहां तक पीछा करती है।