इस समय टेस्ट क्रिकेट में टू टियर सिस्टम को लेकर बहस छिड़ी हुई है। लंबे समय से इस बात पर चर्चा की जा रही है कि यह सिस्टम लागू किया जाना चाहिए या नहीं। वहीं अब गुरुवार से सिंगापुर में आईसीसी की वार्षिक आम बैठक भी शुरू हो गई है। ऐसे में इस बैठक में भी यही मुद्दा जोर पकड़ सकता है। हालांकि कई लोगों के मन में इस सिस्टम को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर यह क्या है और इससे क्रिकेट पर क्या असर पड़ेगा। चलिए इसके पीछे की सभी बातों को जानते हैं।
इससे पहले बता दें कि गुरुवार से शुरू हुई आईसीसी की सालाना आम बैठक में टू टियर टेस्ट सिस्टम के इस एजेंडा को भी शामिल किया गया है। इसका प्रस्ताव एमसीसी द्वारा रखा गया है। बता दें कि एमसीसी के सलाहकार बोर्ड में सौरव गांगुली, ग्रीम स्मिथ, हीदर नाइट और कुमार संगकारा जैसे बड़े खिलाड़ी शामिल हैं। यही खिलाड़ी आईसीसी के सामने यह प्रस्ताव लेकर आए हैं।
जानिए क्या होता है टियर टू सिस्टम?
ऐसे में अगर इस सिस्टम को हरी झंडी मिल जाती है, तो यह टेस्ट क्रिकेट के लिए अब तक का सबसे बड़ा बदलाव हो सकता है। टियर टू सिस्टम को आसान भाषा में समझा जाए, तो टेस्ट की टीमों को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। एक हिस्सा टॉप टीमों का होगा, जो प्वाइंट टेबल में हमेशा ऊपर रहती हैं। इनमें भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के अलावा साउथ अफ्रीका जैसी टीमें शामिल हो सकती हैं। जबकि एक और हिस्सा अलग किया जाएगा, जिनके सालाना मैच कम होते हैं और जिनका प्रदर्शन कमजोर रहता है। टॉप टियर टीमों को अलग करने का मकसद इन टीमों के बीच ज्यादा मैच करवाना है, ताकि दर्शकों को भी भरपूर मज़ा आ सके और टीमों के बीच रोमांचक मुकाबले खेले जा सकें।
कितना बदल जाएगा ये फॉर्मेट?
दरअसल, टियर टू सिस्टम लागू हो जाने से कॉम्पिटिशन भी और बढ़ जाएगी। हर टीम ऊपर आने की कोशिश करेगी। इस पर मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब द्वारा चर्चा की गई है। ऐसे में आईसीसी अगर इस प्रस्ताव को मंजूर कर लेती है, तो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के 2027 के सर्कल में इसे लागू किया जाएगा। जानकारी दे दें कि टियर टू में शामिल टीमों को टियर वन में आने के लिए जगह बनानी होगी और आपस में मुकाबले खेलने होंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे टी20 वर्ल्ड कप और वनडे वर्ल्ड कप से पहले इन टीमों के क्वालीफायर मुकाबले खेले जाते हैं, उसी प्रकार टेस्ट में भी यह होगा। बताया जा रहा है कि टियर टू में जिम्बाब्वे, अफगानिस्तान, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, नीदरलैंड और नेपाल जैसी टीमें शामिल हो सकती हैं।





