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Fri, Dec 19, 2025

भिंड में रेगिस्तान जैसा मज़ा! चंबल किनारे शुरू हुई ऊंट सफारी, मात्र इतने रुपये में उठायें लुत्फ़

Written by:Bhawna Choubey
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मध्य प्रदेश के भिंड जिले में चंबल नदी के रेत तट पर शुरू हुई ऊंट सफारी अब पर्यटकों के लिए नया आकर्षण बन रही है। कम खर्च में प्राकृतिक सौंदर्य, इतिहास और रोमांच का अनोखा संगम देखने को मिलेगा।
भिंड में रेगिस्तान जैसा मज़ा! चंबल किनारे शुरू हुई ऊंट सफारी, मात्र इतने रुपये में उठायें लुत्फ़

मध्य प्रदेश को यूं ही भारत का दिल नहीं कहा जाता। यहां का पर्यटन हर साल नए रंग में सामने आता है। कभी जंगल सफारी, कभी हेरिटेज साइट्स और अब चंबल के बीहड़ों में ऊंट सफारी। भिंड (Bhind) जिले के अटेर क्षेत्र में शुरू हुई यह नई पहल न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित कर रही है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते भी खोल रही है।

हम देख रहे हैं कि किस तरह चंबल नदी, जिसे लंबे समय तक सिर्फ बीहड़ों और डकैतों के नाम से जाना गया, अब इको-टूरिज्म के नए केंद्र के रूप में उभर रही है। ऊंट की पीठ पर बैठकर रेत के टीलों, नदी, किले और मंदिरों की सैर करना अब सपना नहीं, बल्कि हकीकत बन चुका है।

चंबल किनारे ऊंट सफारी का शुभारंभ

भिंड जिले के अटेर में वन विभाग ने चंबल नदी के किनारे ऊंट सफारी की शुरुआत की है। यह पहल प्रदेश में बढ़ती पर्यटन गतिविधियों की एक अहम कड़ी मानी जा रही है। चंबल का रेत तट, खुला आसमान और दूर तक फैले बीहड़ इन सबके बीच ऊंट सफारी पर्यटकों को बिल्कुल अलग अनुभव दे रही है।

वन विभाग की योजना के तहत पर्यटक 200 रुपये का टिकट लेकर करीब 2 से 2.5 किलोमीटर तक ऊंट की सवारी कर सकते हैं। वहीं 500 रुपये के टिकट में उन्हें विस्तृत सफारी कराई जा रही है, जिसमें चंबल नदी, अटेर किला, चामुंडा देवी मंदिर, बीहड़ क्षेत्र और आसपास की ऐतिहासिक धरोहरें शामिल हैं। यह सफारी करीब 10 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर कराई जा रही है।

टिकट दर और समय, जानिए पूरी व्यवस्था

चंबल ऊंट सफारी को आम पर्यटकों की पहुंच में रखने के लिए टिकट दर काफी किफायती रखी गई है। 200 रुपये टिकट में 2 से 2.5 किमी की ऊंट राइड, जिसमें चंबल का रेत तट और आसपास का प्राकृतिक नजारा देखने को मिलेगा। 500 रुपये टिकट में लंबी सफारी, जिसमें नदी, किला, मंदिर, बीहड़ और ऐतिहासिक स्थलों की सैर कराई जाएगी।

वन विभाग ने सफारी के लिए समय भी तय कर दिया है। सुबह 11 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक पर्यटक ऊंट सफारी का आनंद ले सकते हैं। फिलहाल टिकट अटेर स्थित वन विभाग कार्यालय से ऑफलाइन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन भविष्य में ऑनलाइन व्यवस्था पर भी विचार किया जा रहा है।

चंबल क्षेत्र की प्राकृतिक और ऐतिहासिक अहमियत

चंबल नदी और उसका आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। यहां घड़ियाल, मगरमच्छ, दुर्लभ पक्षी प्रजातियां और अन्य वन्य जीव पाए जाते हैं। लंबे समय तक यह इलाका बीहड़ों के कारण बदनाम रहा, लेकिन अब वही बीहड़ पर्यटन की पहचान बनते जा रहे हैं। अटेर किला, चामुंडा देवी मंदिर और चंबल का शांत बहाव इस सफारी को और खास बनाते हैं। ऊंट की पीठ से इन नजारों को देखना पर्यटकों के लिए किसी फिल्मी सीन से कम नहीं है। हम मानते हैं कि इस तरह की गतिविधियां चंबल की छवि को पूरी तरह बदलने में मदद करेंगी।

स्थानीय रोजगार को मिलेगा सीधा फायदा

वन विभाग की रेंजर कृतिका शुक्ला के अनुसार, इस ऊंट सफारी का सबसे बड़ा उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ना है। फिलहाल स्थानीय ग्रामीणों के 11 ऊंट इस सफारी में शामिल किए गए हैं। इससे ऊंट पालकों को सीधा आर्थिक लाभ मिल रहा है। इसके अलावा, योजना है कि आने वाले समय में स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प और गाइड सेवाओं को भी इससे जोड़ा जाए। इससे न सिर्फ पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि गांव के लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी।

ऋषिकेश की तर्ज पर कैंपिंग की तैयारी

वन विभाग की भविष्य की योजनाएं यहीं तक सीमित नहीं हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जल्द ही चंबल किनारे ऋषिकेश की तर्ज पर कैंपिंग शुरू करने की तैयारी की जा रही है। पर्यटक यहां रात बिताकर नदी किनारे सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देख सकेंगे। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर बने पारंपरिक व्यंजन, जैसे बाजरे की रोटी, दाल, देसी सब्जियां और चंबल क्षेत्र की खास डिशेज पर्यटकों को परोसी जाएंगी। इससे स्थानीय संस्कृति को भी पहचान मिलेगी।

इको-टूरिज्म और संरक्षण की सोच

चंबल ऊंट सफारी को इको-टूरिज्म मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है। इसका मतलब है कि पर्यटन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। सफारी के दौरान प्लास्टिक प्रतिबंध, वन्य जीवों से सुरक्षित दूरी और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के नियम लागू किए गए हैं। अगर पर्यटन जिम्मेदारी के साथ विकसित हो, तो वह प्रकृति के लिए खतरा नहीं, बल्कि सहारा बन सकता है। चंबल सफारी इसी सोच का उदाहरण है।

पर्यटकों के लिए क्या है खास अनुभव?

ऊंट सफारी का अनुभव अपने आप में अलग होता है। रेगिस्तान जैसे रेत तट पर ऊंट की धीमी चाल, दूर तक फैली चंबल नदी, बीहड़ों की ऊंची-नीची बनावट और ऐतिहासिक किले, ये सब मिलकर पर्यटकों को एक यादगार अनुभव देते हैं। खासतौर पर फोटोग्राफी और नेचर लवर्स के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। सुबह और दोपहर के समय यहां की रोशनी तस्वीरों को और भी खास बना देती है।