Tue, Dec 30, 2025

सीएम शिवराज ने किया अपने जीवन के बड़े रहस्य का खुलासा

Written by:Shruty Kushwaha
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सीएम शिवराज ने किया अपने जीवन के बड़े रहस्य का खुलासा

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने आज राजधानी में प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय (Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya) के सुख शांति भवन के नवनिर्मित अनुभूति सभागार का लोकार्पण किया। इस अवसर पर सीएम ने कहा कि ‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय अद्भुत स्थान है। शांति तो मन के अंदर से आती है, जिसे बाहर का शोर भी प्रभावित नहीं कर सकता है। यहां आकर मन को अपार शांति की अनुभूति हुई है। मैं अगर जीवन में कुछ अच्छा कर पाया हूं तो उसमें सबसे बड़ा योगदान गीता जी (Geeta ji) का है।’ उन्होने कहा कि ‘मैं आज अगर अच्छा कुछ कर पाया हूं तो उसका सबसे बड़ा योगदान भागवद्गीता का है।’

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मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सिखाया था कि तुम जिस मोह में पड़े हो, उसका कोई अर्थ नहीं है। भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने अर्जुन को समझाया था कि जो अत्याचार और अन्याय करता है उसको मारना ही क्षत्रिय का धर्म है। इस दुनिया में कर्म किए बिना कोई नहीं रह सकता। मनुष्य तुम कर्म करो लेकिन फल की इच्छा मत करो। कर्म ऐसे करों जैसे पानी में कमल रहता है, वैसे ही अपने कर्म करते जाओ। कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर ऐ इंसान, जैसे कर्म करेगा वैसे फल देंगे भगवान।’

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍वविद्यालय एक आध्यात्मिक संस्‍था है और लेखराज कृपलानी इसके संस्थापक थे। इसका प्रारंभ 1030 में अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में स्थित हैदराबाद में हुआ था। आज ये देश विदेश में फैला चुका है और विश्व के 137 देशों में इसकी 9000 से अधिक शाखाएं हैं। अनयायी लेखरात कृपलानी को प्रजापिता ब्रह्मा मानते हैं और उनकी मान्यता है कि स्वयं परमात्मा शिव ने उनके साकार रुप में इसकी स्थापना की है। संसार को सुंदर व आनंदमयी बनाने तथा शांति, पवित्रता, सुख व प्रेम का प्रसार करना इनका उद्देश्य है। इनकी शिक्षा और सिद्धांत में चेतना और आत्म अनुभूति, परमात्मा के साथ सम्बन्ध और समीपता, कर्म के सिद्धान्त, समय चक्र, जीवन रूपी वृक्ष व आध्यात्मिक जीवनशैली सम्मिलित है। इस संस्था में स्त्रियों की महती भूमिका है। इस विश्‍वविद्यालय की शिक्षाओं व उपाधियों को विश्व भर में स्‍वीकृति और अंतरराष्ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त है।