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Thu, Dec 18, 2025

चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दांव, आशा-ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया

Written by:Deepak Kumar
Published:
चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दांव, आशा-ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया

बिहार में इस साल (2025) विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार (30 जुलाई, 2025) को उन्होंने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के लिए खुशखबरी दी है। नीतीश कुमार ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया कि अब इन कार्यकर्ताओं को पहले से ज्यादा मानदेय मिलेगा।

आशा-ममता कार्यकर्ताओं का अहम योगदान

नीतीश कुमार ने अपने पोस्ट में लिखा, “नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद से हमने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में आशा और ममता कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” उन्होंने कहा कि इनके इसी योगदान को देखते हुए और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए इनके मानदेय में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया गया है।

अब 1 हजार की जगह 3 हजार, 300 की जगह 600 रुपये

मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि अब आशा कार्यकर्ताओं को 1,000 रुपये की जगह 3,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
वहीं ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव 300 रुपये की जगह 600 रुपये मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि इस फैसले से न केवल इन कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं और मजबूत होंगी।

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर जोर

बिहार सरकार लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने के लिए काम कर रही है। आशा और ममता कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और जरूरतमंद मरीजों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का काम करती हैं। इनके प्रयासों से ही कई सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ सीधे गांवों के लोगों तक पहुंच पाता है।

चुनाव से पहले राहत भरे फैसले

यह ऐलान ऐसे समय में आया है जब बिहार में चुनावी माहौल गरमाने लगा है। नीतीश कुमार इन दिनों लगातार जनता के लिए राहत भरे फैसले ले रहे हैं।
पत्रकारों की पेंशन 6,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये की गई।
125 यूनिट तक फ्री बिजली देने का ऐलान किया गया।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दी गई।
टीआरई-4 परीक्षा जल्द आयोजित करने का निर्देश दिया गया। इन घोषणाओं से साफ है कि सरकार चुनाव से पहले अलग-अलग वर्गों को साधने की कोशिश कर रही है।

गांव की महिलाओं को मिलेगा फायदा

आशा और ममता कार्यकर्ता ज्यादातर ग्रामीण इलाकों की महिलाएं होती हैं, जो दिन-रात लोगों की सेवा में लगी रहती हैं। अब बढ़ा हुआ मानदेय मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यह फैसला उनके काम को सम्मान देने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को भी बढ़ाएगा।