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Sun, Dec 21, 2025

शुक्र प्रदोष व्रत के दौरान बन रहे कई शुभ योग, महादेव की विशेष कृपा होगी प्राप्त

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
शुक्र प्रदोष व्रत के दौरान बन रहे कई शुभ योग, महादेव की विशेष कृपा होगी प्राप्त

Pradosh Vrat 2023 : शुक्र प्रदोष व्रत को हिन्दू धर्म में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के दौरान त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा में अर्पित होता है और भक्त इसे पूर्वकाल से मानते आ रहे हैं। इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है और शिव लिंग का अभिषेक किया जाता है। यह व्रत समस्त मानवता के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। वहीं, इस साल 24 नवंबर को यह व्रत रखा जाएगा। इस दौरान कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। आइए जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि…

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शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर शुरू हो रही है, तो वहीं इसका समापन 25 नवंबर को शाम 05 बजकर 22 मिनट पर होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 06 मिनट से रात 08 बजकर 06 मिनट तक होगा, तो इस समय में प्रदोष व्रत की पूजा और अर्चना की जा सकती है। यह समय भगवान शिव की आराधना के लिए अनुकूल हो सकता है।

इन 2 शुभ योगों का हो रहा निर्माण

ज्योतिष के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग जो पूरे दिन रहने वाला है जो कि समृद्धि, सफलता और धन की प्राप्ति के लिए शुभ माना जा रहा है। वहीं, अमृत सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 51 मिनट से शाम 04 बजकर 01 मिनट तक है। इन शुभ समयों में भगवान शिव की पूजा और आराधना, मंत्र जाप, ध्यान आदि की जा सकती है, जिससे भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • सबसे पहले सुबह साफ पानी से स्नान करें।
  • जिसके बाद शिवलिंग को सजाने के लिए फूल, धूप, दीप, धातु के कलश आदि की तैयारी करें।
  • पूजा के लिए बेल पत्र, धारा, धूप, दीप, नैवेद्य, गंगाजल, गंध, कुमकुम, वस्त्र, चावल, अगरबत्ती, कलश, केले का पेड़ा आदि रखें।
  • व्रत के शुभ मुहूर्त में शिवलिंग की पूजा करें।
  • शिवलिंग पर गंगाजल, धूप, दीप, गंध, कुमकुम आदि चढ़ाएं।
  • “ॐ नमः शिवाय” या अन्य शिव मंत्रों का जाप करें।
  • शिवलिंग के चारों ओर प्रदक्षिणा करें।
  • जिसके बाद शिवलिंग की आरती उतारें और शिवजी को प्रसाद के रूप में चावल, फल, नैवेद्य चढ़ाएं।
  • शिवलिंग की पूजा के बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
  • फिर अंत में सभी को प्रसाद बांटें।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)