भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) आखिरकार फाइनल हो गया है। तीन साल तक चली बातचीत के बाद गुरुवार को इस डील को अंतिम रूप दे दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत के लिए एक बड़ा बाजार मिलने का मौका बताया, वहीं ब्रिटिश सरकार ने इसे ऐतिहासिक समझौता कहा। इस डील के जरिए हजारों नौकरियों के अवसर और निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई गई है। ब्रिटिश मीडिया ने भी इसे ब्रेक्जिट के बाद एक बड़ी जीत के तौर पर देखा है।
ब्रिटिश मीडिया ने की तारीफ, बताया ‘मेहनत के लायक
ब्रिटेन के प्रसिद्ध अखबार The Times ने भारत-यूके एफटीए को “मेहनत के लायक” करार दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह डील ब्रिटेन को एक ऐसा बाजार दे रही है, जो 2050 तक चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा बन सकता है। अखबार ने ब्रिटिश राज में गांधीजी के विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार की ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए भारत की आर्थिक ताकत का उल्लेख किया। साथ ही बताया कि 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया।
ब्रेक्जिट के बाद एक बड़ी उपलब्धि
ब्रिटिश टैब्लॉइड ने इस समझौते की जमकर तारीफ करते हुए लिखा कि यह डील उन लोगों को जवाब है जो ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के पक्षधर थे। अखबार के अनुसार, यह समझौता ब्रेक्जिट की सफलता का प्रमाण है, क्योंकि यह यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलने के बाद ही संभव हो पाया। इस डील ने यह दिखा दिया कि ब्रिटेन अब स्वतंत्र रूप से दुनिया के तेजी से उभरते देशों से समझौते कर सकता है।
व्यापार, टैरिफ और जीडीपी को मिलेगा बड़ा फायदा
भारत और ब्रिटेन के बीच इस FTA के बाद व्यापार को लेकर नई संभावनाएं खुलेंगी। अब भारतीय प्रोडक्ट्स पर ब्रिटेन में लगने वाले सीमा शुल्क (टैरिफ) 15% से घटकर सिर्फ 3% रह जाएंगे। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक 120 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
हालांकि, The Financial Times ने एक चिंताजनक पहलू भी उठाया। रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश ऑटोमोबाइल सेक्टर इस डील से थोड़ा निराश है। इसका कारण यह है कि पेट्रोल और डीजल गाड़ियों पर भारत में आयात शुल्क में 2031 तक सिर्फ 10% की ही कटौती होगी। इसके अलावा भारत में ब्रिटिश गाड़ियों की बिक्री पर कोटा जैसी सीमाएं भी लागू रहेंगी, जो धीरे-धीरे 2046 तक समाप्त होंगी।





