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Tue, Dec 16, 2025

लाल आतंक का कैसे हो रहा खात्मा; बस्तर में माओवाद का बड़ा नाम था कट्टा रामचंद्र रेड्डी, कितनी बड़ी सफलता

Written by:Saurabh Singh
हाल ही में, सुरक्षा बलों ने बस्तर में माओवादी गतिविधियों को कमजोर करने के लिए कई बड़े अभियान चलाए हैं। इन अभियानों में रेड्डी जैसे बड़े नेताओं को निशाना बनाया गया।
लाल आतंक का  कैसे हो रहा खात्मा; बस्तर में माओवाद का बड़ा नाम था कट्टा रामचंद्र रेड्डी, कितनी बड़ी सफलता

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में माओवादी संगठन के लिए कट्टा रामचंद्र रेड्डी उर्फ विजय एक प्रमुख और प्रभावशाली नेता था। वह लंबे समय तक माओवादी गतिविधियों का केंद्र रहा और संगठन के लिए रणनीतिकार के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सूत्रों के अनुसार, रेड्डी बस्तर के जंगलों में माओवादियों के कई बड़े अभियानों का मास्टरमाइंड था। उसकी उपस्थिति ने संगठन को क्षेत्र में मजबूती प्रदान की थी। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ जंगलों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर में माओवादी संगठन को करारा झटका लगा। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प और कट्टा रामचंद्र रेड्डी समेत दो केंद्रीय कमेटी मेंबर मुठभेड़ में मारे गए।

पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए रेड्डी एक बड़ा खतरा था। वह न केवल माओवादी विचारधारा को बढ़ावा देने में सक्रिय था, बल्कि स्थानीय युवाओं को संगठन में भर्ती करने में भी माहिर था। उसकी रणनीतियों और योजनाओं ने सुरक्षा बलों को कई बार चुनौती दी। रेड्डी के खिलाफ कई ऑपरेशन चलाए गए, लेकिन उसकी चतुराई और जंगल की गहरी जानकारी ने उसे बार-बार बच निकलने में मदद की।

माओवादी गतिविधियों को कमजोर करना

हाल ही में, सुरक्षा बलों ने बस्तर में माओवादी गतिविधियों को कमजोर करने के लिए कई बड़े अभियान चलाए हैं। इन अभियानों में रेड्डी जैसे बड़े नेताओं को निशाना बनाया गया। सूत्रों का कहना है कि उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए खुफिया तंत्र को और मजबूत किया गया था। रेड्डी के प्रभाव को कम करने से माओवादी संगठन को बड़ा झटका लगा है।

सुरक्षा बलों की और आक्रामक रणनीति

क्षेत्र में माओवादी प्रभाव को खत्म करने के लिए सुरक्षा बल अब और आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं। स्थानीय लोगों का सहयोग और बेहतर खुफिया जानकारी के दम पर माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई तेज की गई है। रेड्डी जैसे नेताओं के कमजोर पड़ने से बस्तर में शांति स्थापित करने की उम्मीद बढ़ी है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि माओवादी संगठन अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और इसके खिलाफ सतत प्रयासों की जरूरत है।