छत्तीसगढ़ में बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। मंगलवार को प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिजली की बढ़ी दरें जनता पर “अनैतिक भार” हैं और यह सामाजिक न्याय के खिलाफ है।
सिंहदेव ने कहा, “कोयला हमारा, जमीन हमारी, पानी हमारा और प्रदूषण भी हम झेलें, फिर भी बिजली की बढ़ी कीमतों का बोझ आम लोगों पर क्यों?” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर बिजली उपभोक्ताओं पर बढ़ी हुई दरों का भार डाला है।
13 फीसदी तक बढ़ाए गए रेट
पूर्व डिप्टी सीएम ने दावा किया कि जब-जब भाजपा सत्ता में आई, बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में बिजली दर 3.30 रुपये प्रति यूनिट थी, जो 2018 तक भाजपा के 15 साल के शासन में 6.40 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गई। वहीं, बीते डेढ़ साल में भाजपा सरकार ने बिजली दरों में लगभग 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है।
कांग्रेस शासन में घाटे से उबरी बिजली कंपनियां
टीएस सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस के शासनकाल (2018-2023) में बिजली दरों में औसतन महज 0.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। जबकि शुरुआत में 20 पैसे प्रति यूनिट की कटौती की गई थी। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस सरकार ने बिजली कंपनियों को घाटे से निकालकर मुनाफे में पहुंचाया था।
उन्होंने भाजपा सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए कहा कि तकनीकी दक्षता से बिजली उत्पादन और आपूर्ति में हो रहे घाटे को सुधारा जा सकता था। लेकिन इसके बजाय भाजपा सरकार ने आम लोगों, गरीबों और किसानों पर बोझ डालने का रास्ता चुना सिंहदेव ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार अमीरों और उद्योगपतियों की बिजली बिल की बकाया राशि वसूलने में विफल रही है। “जब उनसे पैसा नहीं लिया जाता, तो आम जनता पर अतिरिक्त भार क्यों डाला जा रहा है?”
डेढ़ साल में तीसरी बार बढ़े दाम
गौरतलब है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग ने बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा की है। यह डेढ़ साल के भीतर तीसरी बार बढ़ोतरी है। अब तक कुल 80 पैसे प्रति यूनिट तक की वृद्धि की जा चुकी है। बिजली दरों में इस वृद्धि के खिलाफ कांग्रेस ने ‘बिजली न्याय आंदोलन’ शुरू करने का ऐलान किया है। पार्टी का कहना है कि वे प्रदेश भर में जनजागरण और विरोध-प्रदर्शन करेंगे।





