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Sun, Dec 21, 2025

43 साल बाद फिर बड़े पर्दे पर ‘नदिया के पार’, जानिए कब और कहां होगी स्क्रीनिंग

Written by:Bhawna Choubey
Published:
Last Updated:
1982 की सुपरहिट फिल्म ‘नदिया के पार’ 43 साल बाद फिर से बड़े पर्दे पर दिखाई जाएगी। पटना में होने वाली इस खास स्क्रीनिंग का मकसद युवाओं को भोजपुरी संस्कृति, परिवार की अहमियत और लोक परंपराओं से दोबारा जोड़ना है।
43 साल बाद फिर बड़े पर्दे पर ‘नदिया के पार’, जानिए कब और कहां होगी स्क्रीनिंग

कुछ फिल्में सिर्फ देखने के लिए नहीं होतीं, बल्कि याद बन जाती हैं। ‘नदिया के पार’ (Nadiya ke paar) भी ऐसी ही एक फिल्म है। इस फिल्म में गांव की सादगी, रिश्तों की मिठास और प्यार को बहुत सरल तरीके से दिखाया गया है। 1982 में रिलीज होने के बाद से यह फिल्म आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है। अब इतने साल बाद इसे फिर से सिनेमाघर में देखा जा सकेगा। यह सिर्फ एक फिल्म दिखाने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक कोशिश है कि आज की नई पीढ़ी अपनी जड़ों को समझे। पटना में होने वाली इस खास स्क्रीनिंग को लेकर लोगों में काफी उत्साह है, खासकर उन युवाओं में जिन्होंने इस फिल्म का नाम तो सुना है, लेकिन कभी बड़े पर्दे पर नहीं देखा।

कहां और कब होगी ‘नदिया के पार’ की स्पेशल स्क्रीनिंग

‘नदिया के पार’ की यह खास स्क्रीनिंग पटना में होगी। यह कार्यक्रम बिहार स्टेट फिल्म डेवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉर्पोरेशन के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘कॉफी विद फिल्म’ के तहत रखा गया है। यह फिल्म गांधी मैदान स्थित रीजेंट सिनेमा कैंपस के हाउस ऑफ वैरायटी में दिखाई जाएगी। इस आयोजन को बिहार सरकार के कला, संस्कृति और युवा विभाग का सहयोग मिल रहा है। फिल्म दिखाने के बाद उस पर बातचीत भी होगी, ताकि बच्चे और युवा इसके संदेश को अच्छे से समझ सकें।

‘नदिया के पार’ आज भी इतनी खास क्यों है

जब 1982 में ‘नदिया के पार’ रिलीज हुई थी, तब यह बाकी फिल्मों से अलग थी। उस समय ज्यादातर फिल्में बड़े सेट और चमक-धमक वाली होती थीं, लेकिन इस फिल्म ने गांव, परिवार और प्यार को बहुत सच्चे तरीके से दिखाया। इस फिल्म में न ज्यादा शोर था और न ही दिखावा। इसकी कहानी सीधी दिल तक पहुंचती है। यही वजह है कि इतने साल बाद भी लोग इस फिल्म को प्यार से याद करते हैं और इसका नाम सुनते ही मुस्कुरा देते हैं।

राजश्री प्रोडक्शंस और पारिवारिक फिल्मों की पहचान

‘नदिया के पार’ को राजश्री प्रोडक्शंस ने बनाया था। यह प्रोडक्शन हाउस हमेशा से साफ-सुथरी और परिवार के साथ बैठकर देखने लायक फिल्में बनाता रहा है। इस फिल्म का निर्देशन गोविंद मूनिस ने किया था। इस फिल्म ने यह साबित कर दिया कि अच्छी कहानी के लिए ज्यादा पैसा जरूरी नहीं होता। यही सोच आगे चलकर ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी सुपरहिट फिल्म तक पहुंची, जिसे आज भी लोग पसंद करते हैं।

‘हम आपके हैं कौन’ की शुरुआत ‘नदिया के पार’ से

बहुत कम लोगों को पता है कि मशहूर फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ की कहानी की शुरुआत ‘नदिया के पार’ से हुई थी। फिल्मकार सूरज बड़जात्या ने इसी फिल्म से प्रेरणा लेकर 90 के दशक की सबसे बड़ी हिट फिल्म बनाई। इससे पता चलता है कि ‘नदिया के पार’ सिर्फ अपने समय की हिट फिल्म नहीं थी, बल्कि आने वाली कई बड़ी फिल्मों की नींव भी बनी।

कलाकारों को मिली खास पहचान

इस फिल्म से कई कलाकारों को नई पहचान मिली। सचिन पिलगांवकर ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी। उनकी सादगी और भोलेपन ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद सचिन ने हिंदी और मराठी फिल्मों में खूब काम किया और एक अच्छे कलाकार के रूप में पहचान बनाई। आज भी जब लोग ‘नदिया के पार’ की बात करते हैं, तो सबसे पहले सचिन का चेहरा याद आता है।

रवींद्र जैन का संगीत, जो आज भी सुनने में अच्छा लगता है

‘नदिया के पार’ के गाने आज भी लोगों को पसंद आते हैं। इस फिल्म का संगीत रवींद्र जैन ने दिया था। ‘कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया’ जैसे गीत आज भी गांव और शहर दोनों जगह सुने जाते हैं। इन गानों में सादगी और भावना है। यही वजह है कि ये गाने कभी पुराने नहीं लगते। बाद में रवींद्र जैन ने ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी बड़ी फिल्मों में भी संगीत दिया।

बच्चों और युवाओं के लिए जरूरी है ऐसी फिल्में

आजकल लोग मोबाइल और इंटरनेट पर बहुत कुछ देखते हैं। ऐसे में ‘नदिया के पार’ जैसी फिल्में बच्चों और युवाओं को रुककर सोचने का मौका देती हैं। यह फिल्म सिखाती है कि परिवार क्या होता है, रिश्तों की कीमत क्या है और सादगी में भी खुशी मिलती है। बिहार सरकार की यह पहल इसलिए जरूरी है ताकि नई पीढ़ी अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझ सके।