Sun, Dec 28, 2025

ताजमहल से भी पुराना है मध्य प्रदेश के इस महल का इतिहास, मशहूर है यहां की प्रेम कहानी

Written by:Sanjucta Pandit
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बता दें कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के गुजरी महल को पुरातत्व संग्रहालय में बदल दिया गया है। जिसका निर्माण 15वीं शताब्दी में राजा महाराजा मान सिंह तोमर ने कराया था।
ताजमहल से भी पुराना है मध्य प्रदेश के इस महल का इतिहास, मशहूर है यहां की प्रेम कहानी

MP Tourism : अक्सर लोग प्यार की निशानी के तौर पर ताजमहल को देखते हैं, जिसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। यहां सालों भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, जो विश्व के 7 अजूबों में शामिल है। संगमरमर की खूबसूरती लोगों को काफी ज्यादा आकर्षित करती है, लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश में स्थित एक महल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास ताजमहल से भी पुराना है।

बता दें कि मध्य प्रदेश के इस राजा ने अपनी पत्नी के लिए इस महल का निर्माण करवाया था, जो कि आज भी टूरिस्ट प्लेस की लिस्ट में शामिल है। यहां दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं।

गुजरी महल

दरअसल, हम गुजरी महल की बात कर रहे हैं, जो ग्वालियर में स्थित है। इसका इतिहास 15वीं शताब्दी से जुड़ा माना जाता है। इसे राजा मानसिंह तोमर ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए बनवाया था, जो गुजरी के नाम से जानी जाती थी। इसे बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यहां आपको प्राचीन मूर्तियां, सिक्के, पेंटिंग, आदि देखने को मिलेंगे। यह महल प्रेम, कला और शौर्य का प्रतीक है।

इतिहास

इस महल से जुड़ी प्रेम कहानी के बारे में इतिहासकारों का कहना था कि रानी मृगनयनी काफी ज्यादा खूबसूरत थी। इसके साथ-साथ वह बहुत तेज और साहसी भी थीं, जिससे राजा मानसिंह तोमर काफी ज्यादा प्रभावित हो गए थे, क्योंकि रानी ने शिकार खेलने गए राजा की सूझबूझ से जान बचाई थी। इस घटना के बाद राजा ने मृगनयनी को अपना दिल दे दिया और उनसे शादी रचा ली। हालांकि, राजा पहले से ही शादीशुदा थे। इसलिए गुजरी को अपने महल में स्थान नहीं दे पाए, लेकिन उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा देने के लिए ग्वालियर किले से नीचे शानदार महल का निर्माण करवाया। बाद में यह गुजरी महल के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

आप भी करें एक्सप्लोर

यदि आप भी गुजरी महल एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो आप यहां जा सकते हैं जो कि वर्तमान में मध्य प्रदेश का सबसे पुराना संग्रहालय है, जहां आपको समृद्ध अतीत की झलक नजर आएगी। जिसे साल 1922 में पुरातात्विक संग्रहालय में बदल दिया गया था।