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Fri, Dec 19, 2025

भारत में हर साल 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानें कैसे हुई इसकी शुरूआत

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
भारत में 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। उन्होंने अपने जन्मदिन को शिक्षकों को समर्पित करने की इच्छा जताई थी। यह दिन गुरुजनों के सम्मान का प्रतीक है।
भारत में हर साल 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, जानें कैसे हुई इसकी शुरूआत

भारत में 5 सितंबर का दिन बहुत खास है। इस दिन शिक्षा के मंदिरों में गुरूजनों का सम्मान किया जाता है। यह दिन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में पूरे देश में शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वह भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे, जो एक ऐसे शिक्षक थे, जिन्होंने शिक्षा को महज पढ़ाई-लिखाई नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्गदर्शन बताया, जिसे आज सभी मानते हैं और उनकी राह पर चलते हैं।

डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि सही शिक्षा जानकारी के साथ-साथ इंसान को हर तरह से परफेक्ट बनाना है। हालांकि, आज हम यह बताएंगे कि आखिर भारत में 5 सिंतबर को ही क्यों यह दिवस मनाया जाता है, जबकि अन्य देशों में यह दिन एक महीने बाद यानी 5 अक्टूबर को सेलिब्रेट किया जाता है।

शिक्षक दिवस

दरअसल, जब 1962 में डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने, तो छात्रों और मित्रों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई। हालांकि, उन्होंने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया और बच्चों को सुझाव दिया कि वह इस दिन को शिक्षकों के नाम पर समर्पित कर दें। तभी से इस दिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। वैसे भी भारत में शिक्षक का स्थान सदैव सर्वोच्च रहा है। प्राचीन काल में आचार्य अपने गुरुकुल में छात्रों को केवल ज्ञान ही नहीं देते थे, बल्कि जीवन मूल्यों से भी परिचित कराते थे। जैसे-जैसे समय बदलता गया, शिक्षा का ढांचा भी बदल गया।

मार्गदर्शक

शिक्षक माता-पिता के बाद वो गुरू होते हैं, जो बच्चों का भविष्य संवारते हैं और उन्हें जीवन में अच्छा इंसान बनाने की जिम्मेदारी निभाते हैं। हालांकि, यह भी सच है कि सम्मान और आदर के बीच हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था कई चुनौतियों से गुजर रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सैंकड़ों स्कूल ऐसे हैं, जहां बुनियादी ढांचा ही अधूरा है। कई बार एक ही शिक्षक पूरे स्कूल का भार उठाते हैं। पाठ्यपुस्तकों से लेकर तकनीकी साधनों तक की कमी और प्रशासनिक दबाव के बीच भी शिक्षक डटे रहते हैं। वहीं, कुछ स्थानों पर इसका उल्टा भी देखने को मिलता है।

बदलाव

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भले ही कई नए अवसर खोले हों, लेकिन हकीकत यह है कि देशभर में लाखों शिक्षकों पर अतिरिक्त गैर-शिक्षा कार्यों का बोझ है। चुनावी ड्यूटी से लेकर जनगणना तक… उन्हें अक्सर क्लास छोड़कर अन्य जिम्मेदारियों में लगना पड़ता है। इसके बावजूद, वह बच्चों को पढ़ाने की कोशिश में लगे रहते हैं। वहीं, सरकार भी शिक्षकों की स्थिति सुधारने के लिए लगातार योजनाएं लागू कर रही है। डिजिटल इंडिया के दौर में अब शिक्षक स्मार्ट क्लास और ऑनलाइन माध्यम से भी बच्चों तक पहुंच बना रहे हैं।