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Sun, Dec 21, 2025

बुजुर्ग माता-पिता को रखरखाव न मिले तो बेटा-बहू पर केस कैसे करें? Maintenance Act को समझें, जानें डिटेल

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सरकार ने बुजुर्गो की मदद के लिए कई कानून बनाएं हैं। बेटा-बहू, बेटी-दामाद और उत्तराधिकारी से रखरखाव की मांग की जा सकती है। आइये जानें देखभाल में लापरवाही और गुजारा भत्ता न मिलने पर क्या करें?
बुजुर्ग माता-पिता को रखरखाव न मिले तो बेटा-बहू पर केस कैसे करें? Maintenance Act को समझें, जानें डिटेल

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माता-पिता सारी जिन्दगी अपने बच्चों की छोटी से बड़ी जरुरतों का ख्याल रखते हैं। ऐसे में बुढ़ापे में पैरेंट्स की सेवा करना बच्चों का कर्तव्य होता है, जो कही-न-कहीं भारतीय संस्कृति का हिस्सा भी है। लेकिन इन दिनों बुजुर्गो के साथ दुर्व्यवहार के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। सारी जिन्दगी बच्चों पर प्यार लुटाने के बाद भी उन्हें सम्मान और आराम भरा जीवन उन्हें रिटायरमेंट के बाद नही मिलता। वरिष्ठ नागरिको की हितों की सुरक्षा करने के लिए भारत सरकार ने सख्त कानून बनाये हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को इनकी जानकारी होती है।

अक्सर माता-पिता को वृद्धावस्था में वित्तीय रूप से मजबूत न होने के कारण कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बच्चे भी रखरखाव देने को तैयार नहीं होते हैं। इस वजह से उन्हें असहाय महसूस होता है। बता दें भारतीय कानून की सहायता से बुजुर्ग माता-पिता गुजारा भत्ता की मांग भी कर सकते हैं। भारत में घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 और सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के तहत बुजुर्गों को कानूनी सुरक्षा मिलती है।

माता-पिता किससे करें रखरखाव की माँग? (Maintenance Act)

मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ़ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 में फाइनेंशियल सिक्योरिटी, भरण-पोषण के लिए खर्च, मेडिकल सिक्योरिटी जैसे जरूरतों को शामिल किया गया है। पेंशन, योजनाओं, बैंकिंग और अन्य सरकारी कार्यों में छूट भी मिलती है। वृद्धास्था में माता-पिता के देखभाल की जिम्मेदारी संतान या उत्तराधिकारी की होती है। ऐसा न करने पर वे  कानून की मदद भी ले सकते हैं। पैरेंट्स बेटा या बेटी दोनों से गुजारा भत्ता की मांग कर सकते हैं। यदि उनकी कोई संतान नहीं है तो इस स्थिति में उत्तराधिकारी जो संपत्ति का हकदार है, उसे यह जिम्मेदारी निभानी होगी।

3 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान 

घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार, आर्थिक शोषण, मानसिक और भावनात्मक हिंसा को कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। जिसके बाद न्यायालय संतान को घर छोड़ने का आदेश भी जारी कर सकता है। अपराध स्थापित होने पर 3 साल तक जेल भी हो सकती है। कोर्ट संपत्ति का ट्रांसफर भी कैंसिल कर सकता है

ये अधिकार भी मिलते हैं

  • यदि संतान माता-पिता की देखभाल लापरवाही करते हैं तो उन्हें 5000 रुपये जुर्माना या जेल भी हो सकती है। मदद के लिए ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकते हैं।
  • जबरदस्ती उन्हें कोई घर से निकलता है तो इसके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
  • मेंटेनेंस की मांग कोर्ट में की जा सकती है। 4 लाख रुपये से कम इनकम होने पर फ्री में कानूनी सहायता भी सरकार की तरफ से प्रदान की जाती है।