क्या आपका बच्चा स्कूल जाने से पहले पेट में दर्द की शिकायत करता है? या किसी नई जगह पर जाते ही रोने लगता है? अगर हां, तो यह सिर्फ़ नखरे नहीं बल्कि एंग्जायटी यानी चिंता का संकेत हो सकता है। आजकल बच्चों में यह समस्या काफी आम हो गई है और पेरेंट्स अक्सर इसे समझ नहीं पाते।
बच्चों की नन्ही-सी दुनिया में भी कई डर और सवाल छुपे रहते हैं। कभी क्लास टेस्ट का तनाव, कभी दोस्तों से झगड़ा, तो कभी घर में अनजाने माहौल का असर यह सब मिलकर उन्हें जल्दी घबराने वाला बना देता है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि सही समय पर पेरेंट्स अगर ध्यान दें और समझदारी से कदम उठाएं, तो बच्चे की चिंता को कम किया जा सकता है।
बच्चों की एंग्जायटी को समझना क्यों ज़रूरी है?
1. बच्चों में एंग्जायटी के लक्षण
छोटी-छोटी बातों पर रो देना, बार-बार सवाल पूछना, पेट दर्द या सिरदर्द की शिकायत करना, नींद पूरी न होना ये सब बच्चों की एंग्जायटी के आम संकेत हैं। कई बार बच्चा इतना घबरा जाता है कि वह किसी भी एक्टिविटी में शामिल होने से बचता है। ऐसे में पेरेंट्स को सतर्क हो जाना चाहिए।
2. पेरेंट्स कैसे करें मदद
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बच्चों को सबसे पहले सेफ और सपोर्टिव माहौल देना ज़रूरी है। जब बच्चा घबराए, तो उसे डांटने के बजाय शांतिपूर्वक समझाएं। रोज़ उसकी बातें ध्यान से सुनें और छोटे-छोटे कॉन्फिडेंस बूस्ट करने वाले काम करवाएं। जैसे स्कूल का प्रोजेक्ट पूरा करने पर शाबाशी देना, नए दोस्त बनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
3. कब ज़रूरी है डॉक्टर से सलाह लेना
अगर बच्चा बार-बार एंग्जायटी के शिकार हो रहा है और उसकी पढ़ाई, नींद या रोज़मर्रा की एक्टिविटी पर असर पड़ रहा है, तो तुरंत बाल मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। एक्सपर्ट थेरेपी और काउंसलिंग से बच्चे को धीरे-धीरे आत्मविश्वास दिला सकते हैं। पेरेंट्स को भी इसमें शामिल रहना चाहिए ताकि बच्चा अकेला महसूस न करे।





