Sat, Dec 27, 2025

पैसा नहीं, चरित्र ही असली ताकत! प्रेमानंद महाराज ने विवेक बिंद्रा को दिया दो टूक संदेश

Written by:Bhawna Choubey
Published:
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात के दौरान मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा ने कारोबार और धर्म को लेकर अपनी दुविधा रखी। जवाब में महाराज ने साफ कहा पैसा जाए तो कुछ नहीं जाता, लेकिन चरित्र गया तो सब कुछ खत्म।
पैसा नहीं, चरित्र ही असली ताकत! प्रेमानंद महाराज ने विवेक बिंद्रा को दिया दो टूक संदेश

आज के समय में पैसा कमाना जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है सही रास्ते पर चलना। इसी सोच के साथ मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर विवेक बिंद्रा वृंदावन पहुंचे। वहां उन्होंने केली कुंज आश्रम में रहने वाले प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। यह मुलाकात केवल मिलने तक सीमित नहीं रही, बल्कि जीवन, व्यापार और धर्म को लेकर एक सच्ची और सीख देने वाली बातचीत बनी। विवेक बिंद्रा ने महाराज के सामने अपने मन की उलझन रखी और पूछा कि क्या फायदे वाला कारोबार छोड़कर धर्म का पालन करना सही है? इस सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने जो जवाब दिया, वह हर इंसान के लिए सीख बन गया।

विवेक बिंद्रा की दुविधा क्या थी

मुलाकात के दौरान विवेक बिंद्रा ने बताया कि उनकी करीब 22 कंपनियों में छोटी-छोटी हिस्सेदारी है। लेकिन वे कुछ कंपनियों से जानबूझकर दूरी बनाए रखते हैं। खासकर वे कंपनियां, जो मांस भक्षण, जुआ या लॉटरी जैसे काम करती हैं। विवेक बिंद्रा ने कहा कि ऐसी कंपनियों को छोड़ने से उन्हें कई बार व्यापार में नुकसान होता है। इसी वजह से उनके मन में सवाल आता है कि क्या धर्म के कारण व्यापार छोड़ना सही फैसला है या नहीं।

प्रेमानंद महाराज का सीधा और साफ जवाब

विवेक बिंद्रा की बात सुनकर प्रेमानंद महाराज ने बिना सोचे कहा कि यही सबसे सही रास्ता है। उन्होंने समझाया कि व्यापार में नुकसान होना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन अगर इंसान अपने धर्म और अच्छे आचरण से समझौता कर ले, तो वही सबसे बड़ा नुकसान होता है। महाराज ने कहा कि पैसा फिर से कमाया जा सकता है, लेकिन अगर इंसान का चरित्र कमजोर हो जाए, तो सब कुछ बेकार हो जाता है।

‘चरित्र का नुकसान सबसे बड़ा नुकसान’

प्रेमानंद महाराज ने बहुत आसान शब्दों में समझाया कि धन का नुकसान कोई बड़ी बात नहीं है। असली नुकसान तब होता है, जब इंसान का चरित्र खराब हो जाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास बहुत पैसा हो, लेकिन उसका व्यवहार और सोच सही न हो, तो ऐसा धन किसी काम का नहीं होता। चरित्र ही इंसान की असली पहचान है।

धर्म के खिलाफ काम करने वालों से दूरी क्यों जरूरी

महाराज ने आगे बताया कि इंसान जिस माहौल में रहता है, उसका असर उस पर जरूर पड़ता है। अगर हम ऐसे लोगों या कंपनियों से जुड़े रहते हैं, जिनका काम गलत है, तो धीरे-धीरे हमारा मन भी बदलने लगता है। समाज में लोग हमारे बारे में गलत सोच बना सकते हैं और हमारे चरित्र पर सवाल उठा सकते हैं। इसलिए खुद सही रहने के साथ-साथ गलत काम करने वालों से दूरी बनाना भी जरूरी है।

पैसा गया तो कुछ नहीं गया

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर पैसा चला जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। पैसा फिर से कमाया जा सकता है। लेकिन अगर इंसान का धर्म, सच्चाई और अच्छा आचरण चला गया, तो सब कुछ खत्म हो जाता है। इसी वजह से उन्होंने विवेक बिंद्रा को सलाह दी कि जो कंपनियां धर्म के खिलाफ काम करती हैं, उन्हें छोड़ देना ही सही फैसला है। इससे मन शांत रहता है और जीवन खुशहाल बनता है।

यह बात आम लोगों को क्या सिखाती है

यह बातचीत सिर्फ विवेक बिंद्रा के लिए नहीं थी। यह सीख व्यापार करने वालों, नौकरी करने वालों, युवाओं और हर उस इंसान के लिए है, जो सही और गलत के बीच फंसा हुआ है। आज कई लोग ज्यादा पैसा कमाने के लिए अपने अच्छे सिद्धांत छोड़ देते हैं। लेकिन यह संदेश बताता है कि सही रास्ता हमेशा आगे चलकर फायदा देता है।

धर्म और व्यापार साथ चल सकते हैं

प्रेमानंद महाराज का कहना है कि धर्म और व्यापार एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हैं। अगर इंसान का इरादा साफ हो और काम करने का तरीका सही हो, तो वह ईमानदारी से व्यापार भी कर सकता है और धर्म का पालन भी। सही व्यापार वही है, जो किसी को नुकसान न पहुंचाए, गलत आदतों को बढ़ावा न दे और इंसान को अंदर से कमजोर न बनाए।