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Thu, Dec 18, 2025

परिवार में कलह और तनाव का कारण बनती हैं ये 5 आदतें, प्रेमानंद महाराज की सलाह

Written by:Bhawna Choubey
Published:
घर में सुख-शांति चाहते हैं तो ध्यान दें, प्रेमानंद महाराज ने बताए ऐसे 5 काम जिन्हें करने से घर की खुशहाली खत्म हो सकती है। जानें कौन सी हैं वो बड़ी गलतियां, जो परिवार के टूटने और रिश्तों के बिगड़ने का कारण बन सकती हैं।
परिवार में कलह और तनाव का कारण बनती हैं ये 5 आदतें, प्रेमानंद महाराज की सलाह

हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर प्रेम, शांति और समृद्धि से भरा हो। लेकिन कभी-कभी हम अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो हमारे ही अपनों से रिश्तों में खटास ला देती हैं। प्रेमानंद महाराज, जो अपने प्रवचनों से लाखों लोगों के जीवन में बदलाव ला चुके हैं, उन्होंने हाल ही में बताया कि परिवार में खुशहाली बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

उनकी सलाह में साफ कहा गया है कि अगर हम कुछ बुनियादी चीज़ों को समझ लें और इन 5 गलतियों से बचें, तो जीवन में सुख-शांति और संबंधों में मधुरता बनी रह सकती है। आइए जानते हैं वो कौन सी 5 बड़ी गलतियां हैं जिनसे हमें हर हाल में बचना चाहिए।

घर की शांति भंग कर सकती हैं ये 5 आदतें

घर में कभी भी अपशब्द या कटु वचन न बोलें

प्रेमानंद महाराज का कहना है कि किसी भी परिवार का सबसे मजबूत स्तंभ उसका आपसी संवाद होता है। जब हम गुस्से में या अहंकार में आकर कठोर या अपशब्द बोलते हैं, तो वह शब्द मन में गहराई तक घाव कर देते हैं। ऐसे शब्द रिश्तों को खोखला कर सकते हैं।

महाराज बताते हैं कि जहां वाणी पर संयम नहीं होता, वहां अक्सर रिश्ते टूटते हैं। घर के सदस्य चाहे छोटे हों या बड़े, उनके सामने बोले गए शब्दों का असर सीधे मन और भावनाओं पर पड़ता है। इसलिए, हर स्थिति में विनम्र और मधुर भाषा का प्रयोग करें।

एक शांत और प्रेमपूर्ण वाणी न सिर्फ झगड़ों से बचाती है, बल्कि घर का वातावरण भी सकारात्मक बनाए रखती है। महाराज कहते हैं, वाणी पर नियंत्रण, रिश्तों की सबसे बड़ी सुरक्षा है।

एक-दूसरे की बुराई करना या पीठ पीछे शिकायत करना

परिवार में अक्सर ऐसा होता है कि कोई सदस्य दूसरे के व्यवहार से नाराज़ होता है और बात सामने कहने के बजाय दूसरों से उसकी शिकायत करता है। प्रेमानंद महाराज इसे सबसे खतरनाक मानसिकता मानते हैं।

उनके अनुसार, जब हम अपनों के ही खिलाफ बात करते हैं, तो न केवल उस व्यक्ति से बल्कि पूरे घर के माहौल से विश्वास उठ जाता है। अगर कोई समस्या है तो उसे उसी से साझा करें, जिससे जुड़ी है। पीठ पीछे की गई आलोचना घर में विष घोल सकती है।

घर को खुशहाल बनाने के लिए पारदर्शिता और विश्वास बनाए रखना जरूरी है। यदि कोई गलती भी हो जाए, तो उसे प्यार से, सम्मानजनक तरीके से समझाएं , यही एक संस्कारी परिवार की निशानी होती है।

घर के बुजुर्गों का अपमान करना या उनकी अनदेखी करना

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता, वहां कभी लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास नहीं करती। आज की पीढ़ी अक्सर व्यस्तता या सोच के अंतर के कारण अपने बड़ों की बातों को नजरअंदाज कर देती है, जो कि रिश्तों के लिए बहुत हानिकारक होता है।

बुजुर्गों के अनुभव और आशीर्वाद से ही घर में मानसिक संतुलन, दिशा और शक्ति आती है। उनका अनादर करने से केवल वे नहीं, बल्कि पूरा वातावरण नकारात्मक हो जाता है। महाराज की स्पष्ट राय है कि जो व्यक्ति अपने बड़ों को अपमानित करता है, उसका भाग्य स्वयं उसका साथ छोड़ देता है।

उनका यह भी कहना है कि जो घर बुजुर्गों को बोझ समझते हैं, वहां परमात्मा की कृपा नहीं टिकती। इसलिए हमेशा सम्मान दें, आदर से पेश आएं और उन्हें परिवार का अभिन्न हिस्सा बनाए रखें।

ईर्ष्या और तुलना की भावना को न पनपने दें

प्रेमानंद महाराज के अनुसार घर के अंदर तुलना और ईर्ष्या की भावना परिवार को भीतर से तोड़ देती है। जब एक भाई दूसरे से, एक बहन दूसरे से या माता-पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरों से करने लगते हैं, तो रिश्तों में दूरी आने लगती है।

हर व्यक्ति की योग्यता, समय और परिस्थितियां अलग होती हैं। तुलना करने से आत्मविश्वास कमजोर होता है और ईर्ष्या की भावना जन्म लेती है। इसके परिणामस्वरूप घर का माहौल तनावपूर्ण और असंतुलित हो जाता है।

महाराज बताते हैं कि तुलना वहां करें जहां प्रगति करनी हो, लेकिन अपनों से तुलना रिश्ते नहीं, अहंकार और जलन पैदा करती है। घर की खुशहाली के लिए यह जरूरी है कि सब एक-दूसरे को प्रेरणा दें, ना कि प्रतियोगिता का माध्यम बनाएं।

घर में भगवान की उपस्थिति को नजरअंदाज करना

महाराज के अनुसार, जिस घर में स्नान, पूजा और ध्यान का समय नहीं होता, वहां नकारात्मकता जल्दी पनपती है। परिवार में प्रेम, संयम और सौहार्द तब बना रहता है जब वहां ईश्वर का वास होता है।

आजकल की व्यस्त दिनचर्या में लोग न तो पूजा करते हैं, न ही सत्संग सुनते हैं। यह धीरे-धीरे मन को अशांत और घर को अस्थिर करता है। महाराज सुझाव देते हैं कि दिन में कम से कम 10 मिनट भगवान का ध्यान, कोई भजन या मंत्रोच्चार जरूर करें।

ईश्वर का नाम घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और परिवार के सभी सदस्यों को मानसिक मजबूती प्रदान करता है। महाराज कहते हैं, ईश्वर का नाम ही वो दीवार है, जो रिश्तों को गिरने से बचाती है।