Mon, Dec 29, 2025

उज्जैन के अस्पताल में पुलिसकर्मियों की जुआ पार्टी का वीडियो वायरल, SP ने 5 को किया सस्पेंड, जानिए पूरा मामला

Written by:Ronak Namdev
Published:
उज्जैन के चरक अस्पताल में इलाज के नाम पर भर्ती आरोपी के साथ पुलिसकर्मियों की शराब पार्टी और जुआ खेलते वीडियो ने पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वायरल वीडियो पर एक्शन लेते हुए एसपी प्रदीप शर्मा ने पांचों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर जांच के आदेश दे दिए हैं। 
उज्जैन के अस्पताल में पुलिसकर्मियों की जुआ पार्टी का वीडियो वायरल, SP ने 5 को किया सस्पेंड, जानिए पूरा मामला

उज्जैन के सरकारी अस्पताल चरक भवन से एक हैरान कर देने वाला वीडियो सामने आया है। यहां जानलेवा हमले के आरोपी अजय सिंदल को पुलिसकर्मी अस्पताल में इलाज के नाम पर भर्ती तो करवा लाए, लेकिन उसके बाद वही पुलिसकर्मी वर्दी उतारकर आरोपी के साथ शराब और जुए में शामिल हो गए। जब यह वीडियो फरियादी पक्ष ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, तो मामला सीधे एसपी तक पहुंच गया। तुरंत कार्रवाई करते हुए एसपी ने पांचों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर जांच के आदेश दिए हैं।

कोतवाली थाने में दर्ज केस के मुताबिक, 1 सितंबर 2024 को अजय सिंदल ने अपने ही चाचा अनिल सिंदल पर जानलेवा हमला किया था। गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर उसे जेल भेजा गया था। लेकिन महज 101 दिनों के अंदर वो दूसरी बार इलाज के बहाने अस्पताल में भर्ती हो गया।

15 दिन का मेडिकल अवकाश लिया

वही इस बार उसने 15 दिन का मेडिकल अवकाश लिया और सीधे चरक भवन में भर्ती हो गया। यहीं फरियादी अनिल सिंदल के बेटे शुभम ने आरोपी को पुलिसकर्मियों के साथ शराब पीते और ताश खेलते रंगे हाथों वीडियो में कैद कर लिया। सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या कोई इतना बीमार हो सकता है कि इलाज की जरूरत में अस्पताल पहुंचे और फिर वहीं शराब-जुए की महफिल सजाए? और क्या मेडिकल टीम ने पूरी जांच के बाद ही उसे भर्ती किया था या फिर मिलीभगत का मामला है? वीडियो वायरल होने के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

पुलिस की वर्दी पर भी उठे सवाल

दरअसल वीडियो वायरल होने के बाद एसपी प्रदीप शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल कार्रवाई की। गार्ड अल्ताफ हुसैन, आरक्षक धर्मेंद्र मरमट, सुनील बिठोरे, लखन अहिरवार और सुनील परमार को सस्पेंड कर दिया गया है।

एसपी ने साफ तौर पर कहा कि वीडियो की जांच कराई जा रही है और अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो इन सभी को बर्खास्त कर दिया जाएगा। यह घटना उज्जैन पुलिस की छवि पर बड़ा सवाल खड़ा करती है कि कैसे एक गंभीर अपराध का आरोपी पुलिस की मौजूदगी में अस्पताल में इस तरह की गतिविधियां करता रहा और किसी ने भी रोकने की कोशिश नहीं की।इस मामले ने जेल प्रशासन, मेडिकल बोर्ड और पुलिस तीनों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है।

उज्जैन से राजेश कुल्मी की रिपोर्ट