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Thu, Dec 18, 2025

एकनाथ शिंदे-आदित्य ठाकरे आए आमने-सामने, नारली पूर्णिमा पर खूब हुआ हंगामा

Written by:Neha Sharma
Published:
मुंबई के वर्ली इलाके में नारली पूर्णिमा का पारंपरिक उत्सव तो हर साल की तरह मनाया गया, लेकिन इस बार शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक आदित्य ठाकरे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक ही मंच के आस-पास पहुंचे और दोनों के समर्थक आमने-सामने आ गए।
एकनाथ शिंदे-आदित्य ठाकरे आए आमने-सामने, नारली पूर्णिमा पर खूब हुआ हंगामा

मुंबई के वर्ली इलाके में आज नारली पूर्णिमा का पारंपरिक उत्सव तो हर साल की तरह मनाया गया, लेकिन इस बार इसका केंद्रबिंदु सांस्कृतिक से ज्यादा राजनीतिक रहा। शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक आदित्य ठाकरे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक ही मंच के आस-पास पहुंचे और दोनों के समर्थक आमने-सामने आ गए। वर्ली, आदित्य ठाकरे का विधानसभा क्षेत्र है और वह हर साल यहां कोली समाज के इस बड़े पर्व में शामिल होते हैं। लेकिन इस बार शिंदे उनके आने से पहले ही कोलीवाड़ा पहुंच गए, जिसे राजनीतिक हलकों में एक संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।

एकनाथ शिंदे-आदित्य ठाकरे आए आमने-सामने

सुबह एकनाथ शिंदे कोलीवाड़ा पहुंचे और स्थानीय मछुआरा समाज से मुलाकात की। वह नागरिकों के आमंत्रण पर आए थे और वहां मौजूद भीड़ से सहज बातचीत की। थोड़ी देर बाद आदित्य ठाकरे भी उत्सव स्थल पर पहुंचे। दोनों नेताओं के आमने-सामने आने के बाद शुरुआत में माहौल में खामोशी रही, लेकिन कार्यकर्ताओं की नारेबाजी और तंज के कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई। देखते ही देखते दोनों गुटों के बीच धक्का-मुक्की और कहासुनी भी हुई।

सूत्रों का कहना है कि आदित्य ठाकरे ने शिंदे के सामने से गुजरते हुए कोई टिप्पणी की, जिसके बाद माहौल और भड़क गया। हालांकि, दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी। घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा, “मुझे वर्ली कोलीवाड़ा आकर बहुत खुशी हुई। मैं अपनी प्यारी कोली बहनों और प्यारे कोली भाइयों से मिला। मुझे मेरी बहनों ने आमंत्रित किया था, इसलिए आया। यह एक उत्सव है, और मैं उसी के लिए यहां हूं।” उन्होंने राजनीतिक सवालों से बचते हुए माहौल को हल्का करने की कोशिश की।

वर्ली सीट लंबे समय से शिवसेना (उद्धव गुट) का गढ़ रही है और यहां नारली पूर्णिमा जैसे पर्व कोली समाज के लिए खास महत्व रखते हैं। ऐसे आयोजनों में नेताओं की मौजूदगी सीधे तौर पर मतदाताओं से जुड़ाव का संदेश देती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिंदे की अचानक मौजूदगी और आदित्य के साथ आमना-सामना महज संयोग नहीं, बल्कि आगामी चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन का संकेत है। इस घटना ने वर्ली की सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया है।