महाराष्ट्र (Maharashtra) के मंत्री नितेश राणे (Nitesh Rane) अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। अब एक बार फिर उन्होंने ऐसा बयान दे दिया है उससे सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। मंत्री राणे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि तपोवन के जंगल में पेड़ों की चिंता करने वाले पर्यावरणविद कभी ईद के दौरान बकरों की हत्या का विरोध करते नहीं दिखते, फिर वे चुप क्यों हैं? क्या सभी धर्म बराबर हैं?
बता दें कि नाशिक में 2027 में होने वाले कुंभ मेले के लिए साधुग्राम निर्माण के तहत 1800 पेड़ काटने की तैयारी नगर निगम ने शुरू कर दी है। इसी कारण 1800 पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है और इस पर पर्यावरण कार्यकर्ताओं व नागरिकों ने मोर्चा खोला है। सरकार का कहना है कि साधू-महंतों के ठहरने की व्यवस्था करने के लिए 1500 एकड़ में साधुग्राम बसाया जाना है जिसके लिए ये काम हो रहा है। जो विरोध कर रहे हैं उन लोगों को लेकर मंत्री राणे ने ऐसा बयान दिया है।
अपने ही ट्वीट पर क्या बोले नितेश राणे
नितेश राणे ने अपने ट्वीट के बारे में बात करते हुए कहा कि मेरा बस इतना कहना था कि जो नियम एक धर्म पर लागू होता है, उसे दूसरे धर्मों पर भी लागू किया जाना चाहिए। जो लोग इसके (पेड़ काटने) खिलाफ बोल रहे हैं, उन्हें बकरीद के दौरान भी अपनी आवाज उठानी चाहिए जब बकरों की कुर्बानी दी जाती है। सवाल सिर्फ हिंदू त्योहारों को लेकर ही क्यों उठाए जाते हैं?
नितेश राणे के ट्वीट पर वारिस पठान का बयान
नितेश राणे के ट्वीट पर AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह के बयान देना देश के लिए, लोकतंत्र के लिए, धर्मनिरपेक्षता के लिए ठीक नहीं है। बात पेड़ काटने की हो रही है और वे बकरे पर आ गए, हम तो बरसों से यह करते आ रहे हैं। सभी नियम, कायदे, कानून का पालन करते हुए हम अपनी ईद मनाते हैं लेकिन नितेश राणे को सिर्फ ध्रुवीकरण करना है। मैं चाहूंगा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इस बात का संज्ञान लें।





