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Wed, Dec 17, 2025

महापरिनिर्वाण दिवस आज, जानें क्या है बाबा साहेब से संबंध

Written by:Sanjucta Pandit
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उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा के महत्व को समझाया है। साथ ही महिलाओं को आजादी दिलाई है। दलित और गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें बचपन से ही बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था
महापरिनिर्वाण दिवस आज, जानें क्या है बाबा साहेब से संबंध

Dr. Bhimrao Ambedkar Mahaparinirvan Diwas : संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की आज पुण्यतिथि है। 14 अप्रैल 1891 को उनका जन्म हुआ था और 6 दिसंबर 1956 को उनका स्वर्गवास हुआ था। हर साल आज ही के दिन उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज भी उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हुए देशभर में सम्मान समारोह आयोजित किए जा रहे हैं।

हर साल महापरिनिर्वाण दिवस मनाया तो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह क्या है? इसे क्यों मनाया जाता है? इसका महत्व क्या है? इस दिन क्या होता है? अगर नहीं, तो आज आपका सारा कंफ्यूजन दूर हो जाएगा।

69वीं पुण्यतिथि आज

आज बाबा साहेब की 69वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। संसद भवन परिसर में प्रेरणा स्थल पर समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य मंत्रीगण डॉ. भीमराव अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।

लिखा दुनिया का सबसे लंबा संविधान

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समाज में हो रही भेदभाव और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। जिसके बाद दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान उनकी अध्यक्षता में तैयार किया गया। उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा के महत्व को समझाया है। दलित और गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें बचपन से ही बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वह अपने इरादे में मजबूत थे। इसलिए उन्होंने कभी हार नहीं मानी और सच्चाई, ईमानदारी के साथ जीवनयापन किया। उनका यह सपना था कि भारत में हर इंसान को एक समान अधिकार मिले, जिसे उन्होंने सफल कर दिखाया।

महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व

बाबा साहेब की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रुप में मनाने के पीछे का कारण यह है कि उन्होंने साल 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस धर्म में महापरिनिर्वाण शब्द का अर्थ है, “मृत्यु के बाद मुक्ति”। यह शब्द मुक्ति का प्रतीक माना जाता है, इसलिए आज के दिन महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है। इस दिन बाबा साहेब के अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं। साथ ही सेमिनार, स्पीच, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य बहुत सारे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।