Fri, Dec 26, 2025

टाटा ने एक बार फिर कर डाला खेल, भारत में बनेगा राफेल फाइटर जेट, डसॉल्ट के साथ साइन हुई मेगा डील, मेक इन इंडिया को मिलेगा बूस्ट

Written by:Ronak Namdev
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फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स ने भारत में राफेल जेट मैन्युफैक्चरिंग को लेकर एग्रीमेंट साइन किया है। यह प्रोजेक्ट हैदराबाद में शुरू होगा और 2028 तक हर महीने 2 यूनिट्स बनाएगा। इस पार्टनरशिप से मेक इन इंडिया और भारत के एयरोस्पेस सेक्टर को नई पहचान मिलेगी।
टाटा ने एक बार फिर कर डाला खेल, भारत में बनेगा राफेल फाइटर जेट, डसॉल्ट के साथ साइन हुई मेगा डील, मेक इन इंडिया को मिलेगा बूस्ट

फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ चार प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स साइन किए हैं। इस पार्टनरशिप के तहत राफेल जेट का फ्यूजलाज अब इंडिया में मैन्युफैक्चर होगा, जो पहली बार फ्रांस के बाहर हो रहा है।

टाटा हैदराबाद में एक एडवांस्ड फैसिलिटी सेटअप करेगा, जहां फ्यूजलाज के लेटरल शेल्स, रियर सेक्शन, सेंट्रल बॉडी, और फ्रंट सेक्शन तैयार होंगे। डसॉल्ट के चेयरमैन एरिक ट्रैपियर ने कहा कि यह डील इंडिया के एयरोस्पेस सेक्टर में गेम-चेंजर साबित होगी। यह प्रोजेक्ट 2028 से प्रोडक्शन शुरू करेगा और हर महीने दो यूनिट्स डिलीवर करेगा। टाटा के CEO सुकरण सिंह ने इसे इंडिया की मैन्युफैक्चरिंग स्किल्स में बढ़ते भरोसे का प्रूफ बताया। यह कदम मेक इन इंडिया को सपोर्ट करेगा।

मेक इन इंडिया को बूस्ट और जॉब क्रिएशन

यह पार्टनरशिप मेक इन इंडिया इनिशिएटिव को स्ट्रॉन्ग करेगी, क्योंकि डिफेंस प्रोडक्शन अब देश में बढ़ेगा। हैदराबाद की नई फैसिलिटी हाई-प्रिसिजन मैन्युफैक्चरिंग का हब बनेगी, जो एयरोस्पेस इंडस्ट्री को ग्लोबल लेवल पर ले जाएगी। डसॉल्ट का मानना है कि यह इनवेस्टमेंट इंडिया के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेगा। यह प्रोजेक्ट जॉब क्रिएशन में भी बड़ा रोल प्ले करेगा, खासकर टेक्निकल और इंजीनियरिंग फील्ड में। टाटा की टेक्नोलॉजी और एक्सपर्टाइज इस डील में अहम होगी, ताकि क्वालिटी स्टैंडर्ड्स मेंटेन हों। पहले डसॉल्ट ने रिलायंस डिफेंस के साथ एक जॉइंट वेंचर शुरू किया था, जो नागपुर में ऑपरेट करता है। यह कदम इंडिया को ग्लोबल एयरोस्पेस हब बनाने की दिशा में बड़ा स्टेप है।

राफेल डील का बैकग्राउंड और ग्लोबल इम्पैक्ट

राफेल डील की शुरुआत 2012 में हुई, जब इंडियन एयर फोर्स ने 126 जेट्स के लिए डसॉल्ट को सिलेक्ट किया था। बाद में 2016 में, 36 जेट्स डायरेक्ट खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ, जिसकी वैल्यू 58,891 करोड़ रुपये थी। इस डील को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी भी हुई, कांग्रेस ने चार्ज लगाया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को हटाकर रिलायंस को फायदा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इन चार्जेस को रिजेक्ट कर दिया। यह नया प्रोजेक्ट ग्लोबल सप्लाई चेन को स्ट्रॉन्ग करेगा, क्योंकि राफेल की डिमांड क्रोएशिया, इंडोनेशिया, और मिडिल ईस्ट में बढ़ रही है। यह डील इंडो-फ्रेंच रिलेशन्स को डीप करेगी, जो डिफेंस को-ऑपरेशन में नए बेंचमार्क सेट कर रहे हैं।