जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सभी राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर की राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि यह कोई रियायत नहीं, बल्कि केंद्र सरकार द्वारा एक आवश्यक सुधार है। उन्होंने संसद के चालू मॉनसून सत्र में इस संबंध में विधेयक लाने का आग्रह किया। उमर अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने का देश के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है और यह एक ऐसी रेखा है जिसे कभी पार नहीं करना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना केवल जम्मू-कश्मीर का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक भावना से जुड़ा मामला है। उन्होंने 2019 में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने और अब तक पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल न करने के गंभीर परिणामों की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि यह कदम भारतीय राजनीति के भविष्य को प्रभावित करता है।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का जिक्र
मुख्यमंत्री ने हाल के विधानसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा लोकतंत्र में दिखाए गए भारी उत्साह और पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का जिक्र किया। उन्होंने अफसोस जताया कि केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने और ऐतिहासिक घावों को भरने का मौका था, जिसे संकीर्ण राजनीतिक कारणों से गंवाया जा रहा है।
राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री द्वारा बार-बार दिए गए राज्य का दर्जा बहाल करने के आश्वासनों का उल्लेख किया। पिछले साल अक्टूबर में मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा था। हालांकि, नौ महीने बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति या समयसीमा स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र का यह दावा कि केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति अस्थायी है, अब केवल एक बहाने जैसा लगता है। उमर अब्दुल्ला ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने काफी इंतजार किया है, अब राज्य का दर्जा तुरंत बहाल होना चाहिए।





