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Sun, Dec 21, 2025

Parliament : पीएम मोदी ने कहा 2004 तक का दशक कहलाएगा ‘द लॉस्ट डेकेड,’ 2030 होगा ‘इंडियाज़ डेकेड’

Written by:Shruty Kushwaha
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Parliament : पीएम मोदी ने कहा 2004 तक का दशक कहलाएगा ‘द लॉस्ट डेकेड,’ 2030 होगा ‘इंडियाज़ डेकेड’

PM  Narendra Modi Parliament Speech : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरूआत में कहा कि उनका भाषण दूरदर्शी और ऐतिहासिक है। उन्होने भाषण के कुछ बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर किसी को आपत्ति नहीं है और किसी ने भी इसकी आलोचना नहीं की। इसे पूरे सदन की स्वीकृति मिली है। अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने सरकार की उपलब्धियां गिनाई और विपक्ष पर निशाना भी साधा।

राष्ट्रपति के प्रति जताया आभार

पीएम मोदी ने कहा कि ‘मैं राष्ट्रपति जी का धन्यवाद और अभिनंदन करता हूं। राष्ट्रपति महोदया ने आदिवासी समाज का गौरव तो बढ़ाया ही है लेकिन आज आजादी के इतने सालों बाद आदिवासी समाज में जो गौरव की अनुभूति हो रही है, उनका जो आत्मविश्वास बढ़ा है और इसके लिए ये सदन भी और देश भी उनका आभारी होगा। राष्ट्रपति जी के भाषण में संकल्प से सिद्धि तक का बहुत बढ़िया खाका खींचा गया। यहां सभी माननीय सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया। हर किसी ने अपने आंकड़े और तर्क दिए और अपनी रूचि, प्रवृत्ति, प्रकृति के अनुसार सबने अपनी बातें रखी। जब इन बातों को गौर से सुनते हैं, उसे समझने का प्रयास करते हैं तो ये भी ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता है, किसकी कितनी योग्यता, समझ और किसका क्या इरादा है। देश भलीभांति तरीके से उनका मूल्यांकन करता हैं।’

सरकार की उपलब्धियां गिनाई

पीएम मोदी ने कहा कि 2004 तक का दशक ‘द लॉस्ट डेकेड’ के रूप में जाना जाएगा। वहीं 2030 को सारी दुनिया ‘इंडियाज़ डेकेड’ के रूप में देखेगी। उन्होने कहा कि ‘आज सभी को भारत के प्रति आशा है, पूरी दुनिया भारत के प्रति आशा की नजरों से देख रही है। इसके पीछे कारण है। इसका उत्तर है भारत में आई स्थिरता। भारत की वैश्विक साख में, नई संभावनाओं में इसका उत्तर छिपा है। हम चलते रहेंगे..देश को समय की मांग के अनुसार जो चाहिए हम देते रहेंगे। कोरोना काल में मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई। भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया। अपने नागरिकों को मुफ्त टीके लगाएं। संकट के समय 150 से ज्यादा देशों को मदद पहुंचाई।’

‘भारत का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर सभी के लिए ताज्जुब का विषय बना हुआ है। आज देश तकनीक के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत में नई संभावनाएं है। भारत आज इसी दिशा में है। दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देख रही है। निराशा में डूबे हुए कुछ लोग इस देश की प्रगति को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें भारत के लोगों की उपलब्धियां नहीं दिखती है। ये 140 करोड़ लोगों का पुरूषार्थ नहीं दिखता है। पिछले 9 वर्ष में भारत में 90 हजार स्टार्टअप आए हैं। हम दुनिया में स्टार्टअप में तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। आज भारत मोबाइल मेन्युफेक्चरिंग में दुनिया में दूसरा बड़ा देश बन गया है। एनर्जी कंज़म्शन में कन्यूजम के रूप में हम दुुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुके हैं। स्पोर्ट्स में पहले हमारी पूछ नहीं थी, आज दुनियाभर में भारत के खिलाड़ी अपना जलवा दिखा रहे हैं। एजुकेशन में हम आगे बढ़ रहे हैं। बेटियों की भागीदारी बराबर होती जा रही है। देश में हर स्तर पर, हर सोच में आशा ही आशा नजर आ रही । एक विश्वास से भरा देश है। संकल्प लेकर चलने वाला देश है।’

‘यूपीए ने हर मौके को मुसीबत में बदला’

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘कुछ लोग ऐसे निराशा में डूबे है कि क्या कहें। काका हाथरसी ने कहा था -आगा पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन-। इस निराशा के पीछे जो अंतर्मन में है, जो चैन से सोने नहीं देती है पिछले 10 साल में 2004 से 2014 भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई। दस साल में महंगाई डबल डिजिट रही और इसलिए कुछ अगर अच्छा होता है तो इनकी निराशा और उभरकर सामने आती है। सबसे ज्यादा घोटालों का दशक रहा। कश्मीर से कन्याकुमारी आतंकवादी हमलों का भय रहा। 10 साल में जम्मू कश्मीर से लेकर नॉर्थ ईस्ट में हिंसा ही हिंसा। वो 10 साल भारत की आवाज ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर इतनी कमजोर थी कि दुनिया सुनने तक को तैयार नहीं थी।  इनकी निराशा का कारण ये भी है कि आज जब देश की क्षमता का परिचय हो रहा है। देश का सामर्थ्य तो पहले भी था लेकिन यूपीए ने वो समय गंवा दिया। यूपीए की पहचान बन गई है कि हर मौके को मुसीबत में पलट दिया।’

कांग्रेस पर निशाना

प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में आलोचना का बहुत महत्व है। आलोचना लोकतंत्र की मजबूती के लिए, संवर्धन के लिए है। आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है। लेकिन विपक्ष ने दुर्भाग्य से 9  साल आलोचना नहीं आरोपों में गंवा दिए। उन्होने कहा कि पिछले 9 साल में देखा है कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म की जगह कंपल्सिव क्रिटिसिज्म ने ले ली है। पीएम ने कहा कि ‘यहां कुछ लोगों को हार्वर्ड स्टडी का बड़ा शौक है। कांग्रेस ने कहा था भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में स्टडी होगी। कल फिर सदन में हार्वर्ड में स्टडी की बात फिर हुई लेकिन बीते वर्षों में हार्वर्ड में बहुत अहम स्टडी हुई जिसका टॉपिक था “द राइज़ एंड डिक्लाइन ऑफ इंडियाज़ कांग्रेस पार्टी।” मुझे विश्वास है भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर सिर्फ हार्वड नहीं, बड़े बड़े विश्वविद्यालयों मे अध्यय्यन होगा। इसे डुबानो वालों पर भी होगा। इस प्रकार के लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने कहा है “तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।” कोई भी जीवंत संगठन या व्यवस्था होती है वे जनता जनार्दन में क्या चल रहा है उसका चिंतन करते हैं और अपनी राय समय रहते बदलते रहते हैं। लेकिन जो अहंकार में डूबे रहते हैं उनका कुछ नहीं होता।’

प्रधानमंत्री का शायराना अंदाज

संसद में कई बार पीएम मोदी का शायराना अंदाज देखने को मिला। भाषण के शुरूआत में ही उन्होने शेर पढ़ा ‘ये कह कहकर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं।’ इसे बाद उन्होने काका हाथरसी की दो पंक्तियां सुनाई ‘आगा पीछा देखकर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन।’ हिंदी गजल को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाले भोपाल के दुष्यंत कुमार को कोट करते हुए उनका शेर कहा ‘तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।’ वहीं अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने चुटीले अंदाज में एक छोटी कहानी भी सुनाई।

2047 में मनाएंगे गौरवशाली 100 साल

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज पूरे विश्व में भारत को लेकर सकारात्मकता है, एक आशा है, भरोसा है। ये भी खुशी की बात है कि आज भारत को विश्व के समृद्ध देश जी 20 की अध्यक्षता का अवसर भी मिला। ये देश के लिए, 140 करोड़ देशवासियों के लिए गर्व की बात है। उन्होने बिना राहुल गांधी का नाम लिए कहा कि ‘मुझे लग रहा है कि इससे भी कुछ लोगों को दुख हो रह है। वो आत्मनिरीक्षण करें, जिन्हें इस बात से भी दुख हो रहा है।’ उन्होने कहा ‘भारतीय समाज नकारात्मकता को सहन कर लेता है लेकिन स्वीकार नहीं करता। हम एक सकारात्मक समाज है। सच सुनने के लिए बहुत सामर्थ्य लगता है। झूठे आरोप सुनने के लिए भी धैर्य लगता है। राजनीति में मतभेद, विचारधारा में मतभेद होता है लेकिन देश अजर अमर है। हम 2047 में आजादी के 100 साल मनाएंगे। हम सब सामर्थ्य के साथ चले। महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात करें तो मिलकर देश के विकास में सहभागी बन सकते हैं।