Mon, Dec 29, 2025

क्या अब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने माता-पिता से अनुमति लेना अनिवार्य होगा?

Written by:Rishabh Namdev
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इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक नया ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसके तहत अब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया अकाउंट खोलने के लिए अपने माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए फिड्युशियरी को टेक्निकल उपाय करने होंगे।
क्या अब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने माता-पिता से अनुमति लेना अनिवार्य होगा?

केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 के तहत नियमों का एक नया ड्राफ्ट तैयार किया है। इसके अनुसार, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए अपने माता-पिता से अनुमति लेना जरूरी होगा। यह ड्राफ्ट 3 जनवरी को मंत्रालय द्वारा पेश किया गया। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से दी।

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने जानकारी दी है कि इस ड्राफ्ट को लेकर mygov.in पर जाकर आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं और इससे जुड़े सुझाव भी दिए जा सकते हैं।

लोगों की राय पर मंत्रालय द्वारा चर्चा की जाएगी

दरअसल, 18 फरवरी को लोगों की आपत्तियों और सुझावों पर मंत्रालय द्वारा विचार किया जाएगा। लंबे समय से सोशल मीडिया पर डेटा संरक्षण नियमों का इंतजार किया जा रहा था। हालांकि, अभी नियमों के उल्लंघन को लेकर किसी भी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं किया गया है। लेकिन 18 फरवरी तक सुझाव और आपत्तियां आ जाने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। लोगों की राय पर मंत्रालय द्वारा चर्चा की जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

फिड्युशियरी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान

वहीं, अधिनियम 2023 की धारा 40 की अवधारणाओं एक और दो की शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने इस ड्राफ्ट को तैयार किया है। नए नियमों के मुताबिक, बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने के लिए सबसे पहले माता-पिता की सहमति लेना होगी। ड्राफ्ट के अनुसार, पर्सनल डाटा इकट्ठा करने वाली फिड्युशियरी कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों द्वारा अकाउंट खोलने से पहले माता-पिता की सहमति ली गई हो। इसके लिए कंपनियों को तकनीकी उपाय करने होंगे। ऐसा नहीं करने पर फिड्युशियरी पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।