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Fri, Dec 19, 2025

नवरात्रि में माता की भक्ति में लीन हुआ पन्ना, पद्मावती शक्तिपीठ मंदिर में उमड़ी भीड़

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
बुंदेलखंड के सबसे बड़े आस्था का केंद्र पद्मावती शक्तिपीठ मंदिर में भी श्रद्धालुओं की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश भर के लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं।
नवरात्रि में माता की भक्ति में लीन हुआ पन्ना, पद्मावती शक्तिपीठ मंदिर में उमड़ी भीड़

Panna News : पूरा देश इन दिनों नवरात्रि के अवसर पर माता की भक्ति में लीन है। चारों तरफ माता के जयकारों से गूंज रहा है। गली-मोहल्ले में मां दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की गई है। बहुत ही धूमधाम से पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। 9 दिन देवी के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा में इसी दिन महिषासुर का वध किया था। इसलिए कहा जाता है इस दौरान कन्याओं का पूजन भी किया जाता है जो कि बेहद शुभ माना जाता है।

इस दौरान भक्त 9 दिन का व्रत रखते हैं और विधि-विधान पूर्वक मां की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान देशभर के सभी मंदिरों में काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। इसी कड़ी में पन्ना जिले के मंदिरों में भी भीड़ देखी जा रही है। सुबह से ही भक्ति मंदिर पहुंचने हैं।

बुंदेलखंड के सबसे बड़े आस्था का केंद्र पद्मावती शक्तिपीठ मंदिर में भी श्रद्धालुओं की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश भर के लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी होती है।

ऐसे हुआ मंदिर स्थापित

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जब मां सती को उनके पिता यज्ञ में नहीं बुलाया था, तब जब अपने पति भगवान से बात ना मानते हुए वहां चली गई थी। जब उनका अपमान हुआ था, तब यह उनसे सहन नहीं हुआ। वह अग्निकुंड में समाधि ले ली थी, जिसके बाद क्रोधित होकर भगवान शिव पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण कर रहे थे। तभी उनके शरीर के कई हिस्से धरती पर अलग-अलग जगह पर गिरे थे। इस दौरान पन्ना में भी माता सती के पैर के अंग गिरे थे, जो कि प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। तब से ही यहां पर उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

पुराणों में भी पाया गया उल्लेख

इसके अलावा, इस मंदिर को लेकर एक और मान्यता है कि यहां पद्मावत नामक राजा हुआ करते थे जो कि माता सती के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने कि इस मंदिर की स्थापना करवाई थी। जिसका उल्लेख भविष्य पुराण और विष्णु पुराण में भी पाया जाता है, जो कि किलकिला नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर को स्थानीय लोगों द्वारा बड़ी देवीन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर बुंदेली भजन गाए जाते हैं।