शनिवार को राजस्थान विधानसभा का माहौल कुछ अलग ही था. यहां देश के अलग-अलग 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए 168 युवा विधानसभा के सदन में बैठकर गंभीर अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे. इस आयोजन की खास बात यह थी कि इसमें कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्र-छात्राएं शामिल थे.
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर आयोजित यह एक दिवसीय युवा संसद सुबह 10 बजे शुरू हुई. इसका लाइव प्रसारण विधानसभा के यूट्यूब चैनल पर भी किया गया ताकि अधिक से अधिक लोग इस अनुभव से जुड़ सकें.
आतंकवाद और PoK जैसे मुद्दों पर चर्चा
युवा संसद में देश की सुरक्षा, आतंकवाद, और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेने जैसे गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ. इस सत्र में 56 युवा प्रतिनिधियों को तय समय में अपनी बात रखने का अवसर दिया गया.
सभी प्रतिभागियों ने गहन शोध और तैयारी के साथ अपनी राय रखी, जिससे यह आयोजन सिर्फ एक प्रतियोगिता न होकर एक सीखने और समझने का मंच बन गया.
युवा संसद का मकसद: लोकतंत्र और नेतृत्व की शिक्षा
वासुदेव देवनानी ने बताया कि युवा संसद का उद्देश्य युवाओं को लोकतंत्र, संसद की कार्यप्रणाली, नेतृत्व और तर्क-वितर्क की कला से परिचित कराना है. उन्होंने कहा, “युवा सिर्फ आलोचक न बनें, बल्कि बदलाव के भागीदार भी बनें. लोकतंत्र को मजबूत करने में युवाओं की सक्रिय भागीदारी जरूरी है.” देवनानी ने यह भी बताया कि इस आयोजन से युवाओं में संवाद क्षमता, आत्मविश्वास और नेतृत्व कौशल का विकास होता है, जो उन्हें आगे जीवन में मदद करेगा.
पहले भी हो चुका है सफल आयोजन
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान विधानसभा में इस तरह का आयोजन हुआ हो. इससे पहले 26 मार्च, 2025 को भी ‘विकसित भारत युवा संसद’ का आयोजन हुआ था. उस आयोजन में राज्य के सभी जिलों से 18 से 25 वर्ष के 140 युवाओं का चयन किया गया था.
उनमें से 3 युवाओं को राष्ट्रीय युवा संसद में भाग लेने के लिए चुना गया था. इन आयोजनों से यह साबित होता है कि युवाओं को संसद जैसी कार्यप्रणाली का अनुभव देना उनकी सोच और दृष्टिकोण को व्यापक बनाता है.





